खेलो इंडिया यूथ गेम्स: मध्य प्रदेश की बुशरा खान ने 3,000 मीटर रेस में जीता स्वर्ण
Khelo India Youth Games Bushra Khan of Madhya Pradesh won gold in 3000 meters race : बुशरा खान का ये सफर आसान नहीं रहा है, लेकिन फिर भी उन्होंने साबित कर दिया है कि मेहनत, लगन और जुनून से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
भोपालः मध्य प्रदेश में चल रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स के एथलेटिक्स इवेंट के दूसरे दिन 3,000 मीटर रेस में लड़कियों के सवंर्ग में बुशरा खान ने स्वर्ण पदक जीता है. बुशरा उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जो अभावों में जीने के बाद भी अपने लक्ष्य का पीछा करती हैं और एक दिन उसे हासिल करने का सपना अपनी आंखों में संजोकर रखती हैं. बुशरा का ये सफर आसान नहीं रहा है, लेकिन फिर भी उन्होंने साबित कर दिया है कि मेहनत, लगन और जुनून से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे सीहोर जिले के एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली बुधरा के पिता गफ्फार खान एक रासायनिक कारखाने में सहायक कर्मचारी के रूप में काम करते थे. वह बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का गुजारा कर पाते थे. लेकिल बुशरा पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट गया जब उनके पिता की एक विस्फोट में पिछले साल मौत हो गई. परिवार में दूसरा कमाने वाला नहीं होने के कारण बुशरा के लिए अपने सपनों को पूरा करना बेहद मुश्किल हो गया था. पिता की मौत के बाद उसकी मां और 13 और 15 साल की दो छोटी बहनों की जिम्मेदारी भी एक तरह से बुशरा के कंधों पर आ गई थी.
ओलंपिक पदक जीतना है बुशरा का सपना
खेलो इंडिया मीडिया से बात करते हुए, बुशरा ने अपने भावनाओं को छिपाने की कोशिश करते हुए कहा कि आज उन्हें अपने पिता की बहुद याद आ रही है. मैं यह पदक उन्हें समर्पित करना चाहती हूं और पूरी उम्मीद करती हूं कि आज मध्य दूरी में मेरे दो पदकों के बाद मुझे खेलो इंडिया एथलीट के रूप में अपनाया जाएगा.’’ इससे बुशरा शुक्रवार को एक दौड़ में बहुत कम अंतर से हार गई थीं, जहां उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था. बीए प्रथम वर्ष में पढ़ने वाली बुशरा के सामने आदर्श के रूप में 3,000 मीटर रेस का कोई चैंपियन नहीं है, लेकिन वह ओलंपिक लक्ष्य हासिल करना चाहती हैं. उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि मैं एक दिन देश को ओलंपिक पदक दिलाउंगी.’’
बुशरा में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है
प्रसाद, मध्य प्रदेश एथलेटिक्स अकादमी के मुख्य कोच और 2016 से उनके गुरु, कोच एस के प्रसाद ने कहा, “हम परिवार में त्रासदी के बाद से उसे खेलो इंडिया एथलीट का दर्जा देने की अपील कर रहे थे. 10,000 रुपये का आउट-ऑफ-पॉकेट भत्ता प्रति माह, जो खेलो इंडिया के एथलीटों को मिलता है, कम से कम उनके परिवार के खर्चों को पूरा करने में कुछ मदद करेगा.’’ इस बीच, राज्य अकादमी ने उन्हें खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम में एंट्री दी.’’ कोच एस के प्रसाद ने कहा, "केआईवाईजी में अपनी पहली मौजूदगी में बुशरा ने 3000 मीटर रेस में कांस्य पदक जीता था, लेकिन हम जानते थे कि उसमें बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है. हमने उसके लिए एक साल लंबी मैक्रो योजना बनाई थी, क्योंकि यह एक सामरिक दौड़ है और आपको चरणबद्ध तरीके से इसके लिए काम करना होता है."
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