नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने इतवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों में ‘‘कुछ तत्वों’’ ने भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं और एक चालक को पीट-पीटकर मार डाला. मिश्रा ने बताया कि कार के नीचे आने से दो किसानों की मौत हो गई थी. घटना के बाद उपजी हिंसा में 6 अन्य लोगों की मौत हो गई. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि घटना के समय न तो उनका बेटा और न ही वह मौके पर मौजूद थे. उन्होंने कहा कि यह घटना उस समय हुई जब भाजपा के कुछ कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अगवानी करने जा रहे थे, जो लखीमपुर खीरी में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शन कर रहे किसानों में शामिल कुछ तत्वों ने काले झंडे दिखाये और कार पर पथराव किया, जो पलट गई. घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा है कि सरकार इसकी जांच करेगी और इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा . 



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केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने कहा, मेरा बेटा नहीं थी घटनास्थल पर मौजूदे 
मिश्रा ने कहा कि उनका बेटा मौके पर मौजूद नहीं था, जैसा कि कुछ किसान नेताओं ने आरोप लगाया है और इसे साबित करने के लिए उनके पास तस्वीर और वीडियो साक्ष्य हैं. उन्होंने कहा कि मेरा बेटा (उपमुख्यमंत्री के) कार्यक्रम स्थल पर मौजूद था और वहां हजारों लोग, प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौजूद थे. मैं भी उपमुख्यमंत्री के साथ था.’’ 



कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग  
कांग्रेस ने लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों के एक समूह को कथित रूप से दो वाहनों से कुचले जाने के बाद भाजपा पर निशाना साधा और घटना की न्यायिक जांच एवं दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. राहुल गांधी ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘‘जो इस अमानवीय नरसंहार को देखकर भी चुप है, वो पहले ही मर चुका है, लेकिन हम इस बलिदान को बेकार नहीं होने देंगे- किसान सत्याग्रह जिंदाबाद.’’

किसान पूरे देश में सोमवार को जिलाधिकारियों के कार्यालय के सामने प्रदर्शन करेंगे
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कुछ प्रदर्शनकारी किसानों को कथित रूप से दो एसयूवी वाहनों द्वारा कुचले जाने के खिलाफ सोमवार को देशभर में जिलाधिकारियों और आयुक्तों के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने का आह्वान किया है. किसान नेता योगेंद्र यादव और दर्शन पाल सिंह ने इस घटना की जांच उत्तर प्रदेश प्रशासन के बजाय उच्चतम न्यायालय के पदस्थ न्यायाधीश से कराने की मांग की है सिंह.


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