भोपालः मध्य प्रदेश के धार्मिक शहर उज्जैन में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक (MP cabinet meeting in Ujjain) में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) द्वारा अपनी सीट पर भगवान महाकाल (Bhagwan Mahakal) की तस्वीर रखने पर कुछ पूर्व नौकरशाहों ने हैरत जताया है. मंत्रिपरिषद की बैठक में आयताकार मेज के बीच भगवान महाकाल की एक बड़ी सी तस्वीर रखी गई थी, जबकि मंत्रिपरिषद के बैठक के दौरान यह जगह मुख्यमंत्री के लिए तय होती है. 
मंत्रिपरिषद के बैठक में महाकाल की तस्वीर ( portrait of Mahakal) लगाने पर जहां पूर्व नौकरशाहों ने तीखी प्रतिक्रिया दी हैं, वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा और हिंदू संतों ने इसकी तारीफ की है. उल्लेखनीय है कि एक लोकप्रिय मान्यता के मुताबिक, उज्जैन शहर पर भगवान महाकालेश्वर का शासन है और सरकार का मुखिया अपनी अध्यक्षता में यहां बैठक नहीं कर सकता है. महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.

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उज्जैन में क्यों हुई थी बैठक ? 
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि  मंत्रिपरिषद के बैठक उज्जैन में की गई है. मंगलवार को हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री और प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस मेज के पास रखे भगवान महाकाल की तस्वीर के दाएं और बाएं बैठे थे. बैठक उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य प्रशासनिक भवन में आयोजित की गई थी. बैठक में मंत्रिपरिषद ने नव विकसित महाकालेश्वर मंदिर गलियारे का नाम ‘महाकाल लोक’ रखने का फैसला लिया है. वहीं, मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव भी होना है.


महाकाल की तस्वीर पर क्या कहते हैं पूर्व नौकरशाह ?


सरकार का यह तरीका बेहद गलत थाः पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त 
महाकाल की तस्वीर पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बुधवार को से कहा, ‘‘ यह अभूतपूर्व था और विभिन्न वर्गों से इसकी आलोचना होनी तय है.’’ उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार देवता के प्रति आभार जताना चाहती थी तो बैठक में शामिल होने के बाद मंत्री उज्जैन में (भगवान शिव के महाकालेश्वर मंदिर) मंदिर जाकर भगवान से आर्शीवाद ले सकते थे. 

कल अन्य धर्मों के लोग भी ऐसा करने की मांग करेंगेंः पूर्व मुख्य सचिव 
वहीं, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव कृपाशंकर शर्मा ने कहा कि एक देवता का चित्र लगाना ‘अभूतपूर्व’ था और इसे किसी कीमत पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है. शर्मा ने कहा, ‘‘ऐसा करना सही नहीं है. भगवान हर जगह मौजूद हैं. इसे सरकार और प्रशासन में दिखाने की कोई जरूरत नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ’’हमारा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है. कल अन्य धर्मों के लोग भी सरकार से ऐसा करने की मांग करेंगे.’’ शर्मा ने कहा कि सेवारत नौकरशाहों को सरकार को यह बताना चाहिए था.


भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैः पूर्व आईएएस 
एक दूसरे सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां पर संविधान का शासन है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को देवता की तस्वीर लगाकर मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित करने की कोई जरूरत नहीं थी. अगर अन्य धर्मों के लोग भी यह मांग करते हैं तो क्या सरकार यह काम करेगी?’’ उन्होंने कहा, इससे समाज में विभिन्न वर्गों में आलोचना को जन्म देगा.

भाजपा ने तस्वीर लगाने का सही ठहराया 
वहीं, प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने बैठक में भगवान महाकाल की तस्वीर लगाने को सही ठहराया है. उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार/प्रशासन समाज का हिस्सा है और उज्जैन में मंत्रिपरिषद की बैठक करना कहीं से गलत नहीं है. यह भगवान महाकाल की छत्रछाया में प्रदेश के 7.5 करोड़ लोगों की तरफ से की गई थी.’’ 

साधु-संतों ने भी सरकार के फैसले की सराहना की 
 


‘‘यह धार्मिक नजरिए से सही है. अब सरकार को मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए सभी फैसलों को पूरा करना होगा, क्योंकि बैठक भगवान महादेव की मोजूदगी में हुई.’’


महामंडलेश्वर अतुलेशानंद (आचार्य शेखर) 


‘‘यह एक अच्छा संकेत है कि शिव राज सिंह चौहान सरकार ने देवता की मौजूदगी में मंत्रि परिषद की बैठक आयोजित की है. हमारे धर्म में ऐसे बहुत से उदाहरण पहले से मौजूद हैं.’’ 


स्वामी शैलेशानंद गिरी , जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर 


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