Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की सियासत में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी शिवसेना वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही है. एकनाथ शिंदे के विद्रोही रवैये के बाद से पूरी महा विकास अघाड़ी सरकार पर ही खतरों के बादल मंडला रहे हैं. लेकिन इन तमाम संकटों के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में पिछले रोज साफ कर दिया कि अगर उनकी पार्टी का कोई MLA आगे आकर कहता है तो फौरन सीएम की कुर्सी से हट जाएंगे.


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अब उद्धव ठाकरे का ये अंदाज़, आज से 30 साल पहले बाला साहेब ठाकरे ने भी दिखाया था. कहा जा सकता है कि उद्धव ने अपने ही पिता के अंदाज में बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है. 30 साल पहले 1992 में शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने कहा था कि उनका पूरा परिवार शिवसेना छोड़ रहा है.


बाला साहेब ठाकरे ने अपनी पार्टी को हमेशा के लिए छोड़ने के लिए तैयार हो गए थे. हालांकि बाला साबह के बगैर शिवसेना का वजूद अधूरा था और लेकिन अक वक्त बाला साहेब ठाकरे अपनी ही पर्वान चढ़ाई पार्टी को छोड़ने के लिए तैयार हो गए थे. ये पूरी खबर साल 1992 में प्रकाशित 'सामना' के एक लेख में नजर आती है.


दरअसल, उस वक्त क्या हुआ था
दरअसल, उस वक्त शिवसेना के पुराने सहयोगी मधु देश पांडे ने बाला साहेब ठाकरे और उनके काम करने के अंदाज पर सवाल उठाए थे. उनके भतीजे राज ठाकरे और बेटे उद्ध ठाकरे को जमकर निशाना बनाया गया था. आरोप लगा था कि दोनों पक्ष पार्टी के मामलों में दखल दे रहे हैं.


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बाला साहेब को पसंद नहीं था कि कोई उनके परिवार पर इल्जाम लगाए
वहीं बाला साहेब ठाकरे को ये बात बिल्कुल ही नहीं पसंद था कि कोई उनके खानदान पर ऐसे इल्जाम लगाए. ऐसे में उन्होंने सामना में एक आर्टिकल लिखा. इसमें उन्होंने एक ऐसा ऐलान किया जिससे पूरी शिवसेना स्तब्ध रह गई. शिवसेना कार्यकर्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया और कार्यकर्ताओं ने यहां तक कह दिया कि अगर बाला साहब ने पार्टी ने छोड़ी तो वह खुद को आग के हवाले कर देंगे.


जब बाला बाला साहेब- मेरा पूरा परिवार शिवसेना छोड़ रहा है.
उस समय बाला साहेब ठाकरे ने लिखा था कि अगर शिवसेना का कोई नेता मेरे या मेरे परिवार के खिलाफ खड़ा हो गया और कहा कि हमने आपकी वजह से पार्टी छोड़ी है, तो मैं शिवसेना अध्यक्ष पद से इसी वक्त इस्तीफा देना चाहता हूं. मेरा पूरा परिवार शिवसेना छोड़ रहा है.


फिर शुरू हुई बाला साहब को मनाने की मुहिम
फिर बाला साहेब ठाकरे की इस एक घोषणा ने पूरी पार्टी को झकझोर कर रख दिया. विरोध कुछ भी हो, जो भी शिकायतें हों, सब एक तरफ रख दिया गया और एक नया अभियान शुरू किया गया - बाला साहेब को मनाने के लिए. उन्हें बताया गया कि शिवसेना आपके बिना काम नहीं कर सकती. हालात ऐसे हो गए कि शिवसेना के कुछ सदस्यों ने तो खुद को आग लगाने की भी बात कह दी. शिवसेना भवन के बाहर भी शिवसेना के लाखों कार्यकर्ता बाला साहब के समर्थन में नारे लगाने लगे.


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अब उद्धव ठाकरे भी अपने पापा के रास्ते पर
इस एक घटना के बाद जब तक बाला साहेब रहे, तब तक पार्टी में किसी ने उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाई, किसी ने उनके खिलाफ विद्रोही रवैया नहीं दिखाया. अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी ऐसा ही तरीका अपना रहे हैं. वह इस्तीफे की पेशकश तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही अपनी पूरी शिवसेना को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. वह बालासाहेब की तरह सफल होते हैं या नहीं, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा.


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