Aam Chunav 2024: किसी भी इलेक्शन से पहले नेताओं का दल बदलने का रिवाज पुराना रहा है. इस इलेक्शन में भी कई नेताओं ने अपने ठौर-ठिकाने बदलते हैं. इनमें से ज्यादातर नेताओं को, तो नया निकाना मिल गया, लेकिन कई नेताओं को निराशा हाथ लगी है. वे नेता न घर के रहे न घाट के.


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बिहार में इस लोकसभा इलेक्शन में मुख्य मुकाबला बीजेपी की अगुआई में NDA और इंडिया गठबंधन के बीच में हैं. सूबे की सभी 40 लोकसभा सीटों में से ज्यादातर सीटों के लिए कैंडिडेट्स के नाम तय कर लिए गए हैं. हालांकि कई दल-बदलू लीडर अभी भी अपने लिए मुफीद ठिकाना खोज रहे हैं. अब हाल यह है कि ऐसे नेता या तो 'बिना दल' (निर्दलीय) चुनावी मैदान में उतरें या फिर नए दल में अपने बदले संकल्पों के साथ रहें.


बागियों की है बल्ले-बल्ले
दल-बदल कर राजद में आने वाले नेताओं को काफी फायदा हुआ दिख रहा है. जदयू छोड़कर कुछ ही दिनों पहले आरजेडी में आए अभय कुशवाहा को पार्टी ने औरंगाबाद लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया, तो इलेक्शन के दौरान ही जदयू छोड़कर राजद में आईं बीमा भारती को RJD ने पूर्णिया से टिकट दे दिया. 


वैशाली से ताल ठोंक रहे मुन्ना शुक्ला
वैशाली लोकसभा से आरजेडी के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे मुन्ना शुक्ला पिछले विधानसभा इलेक्शन में लालगंज से निर्दलीय इलेक्शन लड़े थे. वहीं, मुंगेर से चुनावी मैदान में उतरीं अनीता देवी भी पहले आरजेडी की सदस्य नहीं थीं. हाल में ही उनहोंने बाहुबली अशोक यादव से शादी की और राजद का टिकट हासिल कर लिया.


चिराग पासवान ने इन पर जताया भरोसा
ऐसा नहीं कि दल-बदलू लीडर्स को  सिर्फ आरजेडी ने ही ठिकाना दिया है. NDA में शामिल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी जमुई लोकसभा से अपने किसी वर्कर्स पर भरोसा नहीं जताया. चिराग ने इस लोकसभा सीट से अपने बहनोई अरुण भारती को कैंडिडेट बना दिया. वहीं, समस्तीपुर लोकसभा सीट से अपने किसी वर्कर्स पर भरोसा नहीं कर, नीतीश सरकार में मंत्री और जदयू नेता अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को चुनाव मैदान में उतार दिया.


जदयू ने दिया इनको टिकट
एनडीए में शामिल जदयू के खाते में इस इलेक्शन में 16 सीटें गई हैं. जदयू ने अपने 13 पुराने सांसदों पर ही भरोसा जताया. पार्टी ने सिवान से विजयलक्ष्मी को टिकट दिया है. शिवहर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद आनंद मोहन की बीवी लवली आनंद को चुनाव मैदान में उतारा है. लवली आनंद कुछ ही दिनों पहले आरजेडी छोड़कर जदयू में शामिल हुई थीं.


पप्पू यादव न घर के रहे न घाट के
कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी सुविधा के लिए पार्टी तो बदल ली, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. पूर्णिया लोकसभा सीट से बतौर निर्दलीय इलेक्शन मैदान में ताल ठोंक रहे पप्पू यादव अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया, लेकिन महागठबंधन में हुए सीट बंटवारे में पूर्णिया लोकसभा सीट आरजेडी के खाते में चली गई. इसलिए पप्पू यादव को बतौर निर्दलीय इलेक्शन लड़ रहे हैं.


राजद ने सिवान में नहीं किया कैंडिडेट का ऐलान
वैसे, महागठबंधन में शामिल राजद ने अपने खाते की सीट सिवान लोकसभा सीट के लिए अपने कैंडिडेट का ऐलान अभी तक नहीं किया है. इसी तरह विकासशील इंसान पार्टी ने भी अपने खाते की तीन सीटों पर कैंडिडेट के नाम अभी सार्वजनिक नहीं किए हैं. कांग्रेस भी अपनी 9 लोकसभा सीटों में से सिर्फ तीन सीटों के लिए ही कैंडिडेट्स का ऐलान किया है. ऐसे में दल-बदलू नेताओं को अभी भी ठिकाना मिलने की आस है, लेकिन पार्टियों के वर्कर्स खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.