लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Up Assembly Election) से पहले भाजपा विधायक दिग्विजय नारायण और बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी समेत कई सीनियर नेता रविवार को समाजवादी पार्टी (SP) में शामिल हो गए. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मौजूदगी में गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी और संत कबीर नगर के खलीलाबाद क्षेत्र से भाजपा विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे ने सपा का दामन थाम लिया.


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इसके अलावा विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडे और पूर्व सांसद भीम शंकर तिवारी उर्फ कौशल तिवारी ने भी सपा की सदस्यता हासिल की. बसपा ने पिछले सोमवार को विधायक विनय शंकर तिवारी उनके बड़े भाई पूर्व सांसद कुशल तिवारी और रिश्तेदार गणेश शंकर पांडे को पार्टी विरोधी गतिविधियों और वरिष्ठ नेताओं से अनुचित व्यवहार करने के आरोप में निष्कासित कर दिया था. अखिलेश ने इन सभी का सपा में स्वागत करते हुए कहा कि इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी और अब आगामी विधानसभा चुनाव में सपा का मुकाबला कोई नहीं कर सकता.


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सपा में शामिल हुए बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी ने इस मौके पर आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार लोकतंत्र के लिए नहीं बल्कि राजतंत्र के लिए गठित हुई है और उसके शासन में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने नफरत के बीज बोए हैं और लोगों को बांटा है. उन्होंने कहा कि साल 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 19 सीटें जीती थी लेकिन अब सिर्फ तीन विधायक ही उनके साथ रह गए हैं. उन्होंने कहा कि इनमें मथुरा की मांट सीट से विधायक श्याम सुंदर, बलिया के रसड़ा क्षेत्र से विधायक उमाशंकर सिंह और आजमगढ़ की लालगंज सीट से विधायक आजाद अरिमर्दन शामिल हैं. बाकी विधायकों ने या तो पार्टी छोड़ दी है या फिर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है.



विधानसभा में बसपा के नेता उमाशंकर सिंह ने तिवारी के इस बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों के लिए चुनाव का टिकट चाहते थे लेकिन बसपा की नीति इस चीज को लेकर बहुत साफ है कि वह परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा नहीं देती. उन्होंने दावा किया कि तिवारी उन लोगों में से हैं जिनका अपना कोई जनाधार नहीं है. सपा में जाने का उनका यह कदम विशुद्ध रूप से अवसरवाद से प्रेरित है. सिंह ने इस बात से भी इनकार किया के अब मात्र तीन विधायकों वाली पार्टी रह गई बसपा के लिए खतरे की घंटी बज रही है.


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