देवबंद/सैयद उवैस अली: एक तरफ जहां आलमी शोहरत याफ्ता इस्लामिक तालीमी इदारा दारुल उलूम देवबंद दुनिया भर में अपनी शिनाख्त बनाए हुए है वहीं, फतवों की नगरी दारुल उलूम के पास बनी रशीदिया मस्जिद भी अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ रही है. खास कारीगरों और संगेममर से बनी रशीदिया मस्जिद एशिया की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक है. इस मस्जिद की भव्यता देश में ही नहीं विदेशों में भी एक अनूठी मिसाल तो पेश करती रही है. 


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मकराना के सफेद संगेमरमर की बारीक नक्काशी
राजस्थान से खासतौर पर मंगाए गए मकराना के सफेद संगेमरमर की बारीक नक्काशी से बनाई गई आलमी शोहर याफ्ता मस्जिद रशीद सैलानियों को अपनी तरफ खींचती है. उम्दा किस्म के सफेद संगेमरमर से बनी यह मस्जिद हर एक मौसम में अपनी खूबसूरती की एक अलग ही छटा तो बिखेरती है वहीं रात में चांद की रोशनी में यह मस्जिद अपनी खूबसूरती की एक अलग ही दास्तां बयान करती है.



शुरू में 25 लाख रखा गया था बजट
मस्जिद रशीद का संगे बुनियाद रखने का फैसला दारुल उलूम देवबंद में साल 1987 में होने वाली मजलिस-ए-शुरा में लिया था और इस मस्जिद की तामीर के लिए उस वक्त 25 लाख रुपये का बजट पास किया गया था जो जिसे बाद में बढ़ाकर 65 लाख कर दिया गया था. 65 लाख रुपये उस वक्त के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी. साल 1988 में कई बड़े आलिमे दीन ने इस मस्जिद का संगे बुनियाद रखा था.  मस्जिद का नाम मशहूर आलिमे दीन मौलाना अब्दुल रशीद अहमद गंगोही के नाम पर मस्जिद रशीद रखा गया. शुरू में मस्जिद का रक़बा (क्षेत्रफल) मौजूदा रकबे से काफी छोटा था लेकिन जैसे-जैसे तामीर होती गई वैसे-वैसे लोगों की मदद से इसके रकबे के साथ ही बजट भी बढ़ता गया. हाल में यह बजट करोड़ों रुपये है और अभी भी मस्जिद की तामीर का काम चलता रहता है. 



102 फीट चौड़ा अहम दरवाज़ा
मस्जिद रशीद का अहम दरवाज़ा 102 फीट चौड़ा व 50 फीट ऊंचा बनाया गया है. 102 फीट चौड़े इस दरवाज़े में मस्जिद के अंदर दाखिला करने के लिए पांच दरवाजे बनाए गए हैं, जिसके बीच में मौजूद बड़े दरवाज़े की चौड़ाई 20 फीट है. मस्जिद के दरवाज़े के बाद एक बड़ा सेहन है, जिसकी लंबाई 180 फीट और चौड़ाई 128 फीट है. सेहन के चारों तरफ 16 फीट चौड़ा जालियों व पत्थरों से बना हुआ बरामदा है. जिसके शुमाल व जनूबी (उत्तर व दक्षिणी) हिस्से पर एक-एक दाखिला दरवाज़ा है. 



120 फीट ऊंचा है गुंबद
सेहन के बिल्कुल सामने मस्जिद की आलीशान तीन मंजिला इमारत शान से सिर उठाए खड़ी है. इस तीन मंजिला इमारत के बिल्कुल बीचों-बीच एक बेहद खूबसूरत व बड़ा गुंबद बनाया गया है. जिसकी चैड़ाई 60 X60 फीट और ऊंचाई 120 फीट है. जिसके भीतर कम से कम 200 लोग आराम से नमाज़ अदा कर सकते हैं. मस्जिद के दोनों हिस्सों पर दो बड़े व गगनचुंबी आलीशान मीनार बनाए गए हैं. जदीद (आधुनिक) तकनीक से बनाए गए इन मीनारों के बीच में खूबसूरत अंदाज़ की सीढि़यां बनाई गई हैं जो कि मीनार के आखिर तक पहुंचती हैं. मस्जिद के नीचे नमाजियों की सर्विेस के लिए एक बड़ा तहखाना बनाया गया है और मस्जिद के अहम दरवाज़े से दोनों तरफ से तहखाने को जोड़ने के लिए ज़मीन के अंदर से रास्ता भी बनाया गया है. जिसमें स्टूडेंट्स के रहने के लिए कमरे भी बनाए गए हैं. इस तरह मस्जिद के नीचे दारुल उलूम में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की एक बड़ी बस्ती आबाद है.



देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है खूब चर्चा
मस्जिद रशीद आजादी के बाद हिंदुस्तान में बनाई गई सभी मस्जिदों में सबसे अज़ीम, मज़बूत और खूबसूरत मानी जाती है. जिसकी न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि हिंदुस्तान से भी बाहर खूब चर्चा होती है. इसके चलते मस्जिद रशीद को देखने के लिए भारी तादाद में टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं. बता दें कि यहां मुस्लिम-हिन्दू समेत सभी मज़हब के टूरिस्ट आते रहते हैं. कोई रशीदिया मस्जिद की तुलना ताजमहल से करता है, तो कोई इसे सबसे खूबसूरत इबादतगाह कहता है. देवबंद तहसील के में मौजूद रशीदिया मस्जिद की खूबसूरती देखते ही बनती है. रशीदिया मस्जिद को देखने वाले जो टूरिस्ट बाहर से आते हैं वह इसे किसी भी तरफ से और किसी भी नज़र से देखें वह हर जगह से खूबसूरत ही दिखाई देती है.


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