केंद्र सरकार के 15 सूत्रीय कार्यक्रम से अल्पसंख्यक समाज को क्या मिला? पढ़ें ये रिपोर्ट
Modi goverment: केंद्र सरकार ने संसद में इस बात की जानकारी दी कि प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम की बैठक पिछले 3 सालों से नहीं है, और इसके पीछे की वजह बताई गई कोरोना.
नई दिल्ली: अल्पसंख्यक समाज का विकास तेजी से हो और तालीमी, समाजी और मआशी तौर पर वो आगे बढ़े इस मकसद के साथ भारत सरकार ने 'प्रधानमंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम' शुरू किया था. इस कार्यक्रम के तहत यह सुनिश्चित करना था कि अल्पसंख्यक समुदायों के लाभार्थियों को सरकार के जरिये चलाई जा रही अलग अलग योजनाओं के साथ लोन और बैंक क्रेडिट का उचित हिस्सा मिले.
लेकिन इस योजना का ज़मीनी सतह पर जो असर दिखना चाहिए था वो नज़र नहीं आता इसकी एक बड़ी वजह है इस कार्यक्रम के तहत समय पर बैठक का ना होना.
केंद्र सरकार ने संसद में इस बात की जानकारी दी कि प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम की बैठक पिछले 3 सालों से नहीं है, और इसके पीछे की वजह बताई गई कोरोना.
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सांसद इम्तियाज़ जलील ने सरकार ने सरकार से पूछा था सवाल
दरअसल महाराष्ट्र से एमआईएम के सांसद इम्तियाज़ जलील ने सरकार से ये सवाल पूछा था कि क्या ये सच है कि पिछले तीन सालों से प्रधानमंत्री 15 सूत्रीय कार्यक्रम की कोई बैठक नहीं हुई जिसके जवाब में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने बताया कि अल्पसंख्यक कल्याण समिति की ये बैठक कोविड प्रोटोकॉल की वजह से नहीं हो पाई है. इम्तियाज जलील ने ये सवाल औरंगाबाद जिले के हवाले से पूछा था लेकिन हालात मुल्कभर में भी कुछ जुदा नहीं है. हर जगह से ये शिकायत आम है कि प्रधानमंत्री का 15 सूत्रीय कार्यक्रम की कोई बैठक जल्दी से नहीं होती.
15 सूत्रीय कार्यक्रम मकसद
प्रधानमंत्री का 15 सूत्रीय कार्यक्रम बड़ी योजना है. इसमें देश के सभी मंत्रालयों, हर राज्य के सभी विभागों की योजनाओं को जोड़ा गया. कार्यक्रम के तहत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को अपनी हर योजना में अल्पसंख्यकों के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया गया.
इस कार्यक्रम से क्या हासिल हुआ
इस कार्यक्रम के तहत स्कूली तालीमी में सुधार, उर्दू ज़ुबान के लिए अधिक संसाधन, मदरसा मॉर्डनाइजेशन, अल्पसंख्यक छात्राओं को छात्रवृति, मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान के माध्यम से तालीम का उन्नत बनाना, गरीबों के लिए स्वरोजगार व मजदूरी रोजगार योजना, जैसे खास प्रोग्राम शामिल किए गए थे.
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