Minorities Commission letter: अल्पसंख्यक आयोग ने डीजीपी ने मांग की है कि संबंधित जिलों के पुलिस कप्तान ऐसे केसेस को गंभीरता से लें. वहीं, आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेने की मांग की गई है.
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विशाल सिंह/लखनऊ: कुछ दिनों पहले ही उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बीजेपी समर्थक बाबर की हत्या का मामला सामने आया था. वहीं, बरेली में निदा खान द्वारा बीजेपी को वोट देने पर उनकी कौम से निकाले जाने की बात होने लगी. इस तरह राज्य में कई और मामले में सामने आए जहां बीजपी के मुस्लिम समर्थकों को डाराया धमकाया जा रहा है और उन्हें बीजेपी को हिमायत देने पर टारगेट किया जा रहा है.
ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि मुस्लिम समुदाय के लोग अगर योगी सरकार का समर्थन कर रहे हैं तो उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसे केसेस के सामने आने के बाद यूपी के अल्पसंख्यक आयोग ने डीजीपी को खत लिख कर जवाब मांगा है.
अल्पसंख्यक आयोग ने डीजीपी से की ये मांग
अल्पसंख्यक आयोग ने डीजीपी ने मांग की है कि संबंधित जिलों के पुलिस कप्तान ऐसे केसेस को गंभीरता से लें. वहीं, आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेने की मांग की गई है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी है हक
अल्पसंख्यक आयोग ने ये कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. वहीं, आर्टिकल 21 के अनुसार, हर आदमी गरिमामय जीवन जीने का अधिकार रखता है. जनता के संवैधानिक अधिकारों को अक्षुण्ण रखना अनिवार्य है.
राज्य अल्पसंख्यक आयोग के मेंबर सरदार परविंदर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि राज्य में कई ऐसे मामले सामने आए, जहां किसी मुस्लिम के बीजेपी को सपोर्ट करने पर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.
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