लखनऊ: नवासा ए रसूल इमाम हुसैन की याद में मुल्क भर में इन दिनों मोहर्रम मनाया जा रहा है, जिसके चलते लखनऊ के ललित कला अकादमी में इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में एक ख़ास इंटरनेशनल प्रदर्शनी लगाई गई है. इस प्रदर्शनी में मुसलमानों की ही पेंटिंग्स और फोटोग्राफ्स नहीं बल्कि गैर मुस्लिमों ने भी अपने हाथ के द्वारा बनाई गई पेंटिंग लगाई है. जिसको देखने हर मजहब ओ मिल्लत के लोग पहुंच रहे हैं.


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प्रदर्शनी में दिख रही गंगा जमुनी तहज़ीब


यह नज़ारा लखनऊ के कैसरबाग इलाक़े की ललित कला अकादमी का है जहा इन दिनों मोहर्रम के दौरान बड़े पैमाने पर मोहर्रम में अज़ादारी पूरी दुनिया मे कैसे मनायी जाती है इसको इन पेन्टिंग और फ़ोटोग्राफ़स के ज़रिये से लोगो तक पहुचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इस नुमाइश में मुल्क की गंगा जमुनी तहज़ीब की भी ख़ास मिसाल देखने को मिल रही क्योकि इन पेंटिंग्स और फ़ोटो ग्राफ्स को बनाने वाले मुस्लिम ही नहीं बल्कि बड़ी तादाद में ग़ैर मुस्लिम भी शामिल है. जिसमे कई स्कूल के मुस्लिम व गैर मुस्लिम बच्चे भी शामिल हैं इन स्कूली बच्चो का कहना है हमारा देश सभी मज़हब के लोगो से मिल कर बनने वाला वह फूलो का गुलदस्ता है. जहां सब मज़हब के लोग एक साथ मिल कर बरसो से रहते आये हैं और हमारी पेंटिंग का मक़सद भी यही है के मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिम के बीच की दूरियां कम हो जिस्से मुल्क में हम सब एक साथ मिलकर तरक़्क़ी की नई इबारत लिख सके.



मुस्लिम व गैर मुस्लिम छात्राएं विभिन्न धर्मों के धर्मगुरु और कई नामवर हस्तियों ने की शिरकत 


लखनऊ में करीब पिछले 14 साल से ये प्रदर्शनी लग रही है. इस प्रदर्शनी के देखने आए शख्स अब्दुल्ला ने बताया कि इमाम हुसैन का गम सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अक़ीदतो अहतराम के साथ उन्हें याद किया जा रहा है. वहीं इस प्रदर्शनी में शामिल होने आए हिंदू धर्म गुरु स्वामी सारंग ने प्रदर्शनी के आयोजन कर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए ताकि मुल्क में गंगा जमुनी तहजीब का पैगाम आम होता रहे. स्वामी सारंग ने कहा कि इमाम हुसैन की बताई गई शिक्षाओं पर अमल करके इस दौर में भी एक कामयाब जीवन बिताया जा सकता है.



कोरोना काल में ऑनलाइन लग रही थी प्रदर्शनी


अज़ादारी का मरकज़ कहे जाने वाले अदब के शहर लखनऊ में यह प्रदर्शनी मोहर्रम के दौरान पिछले 14 सालों से लगायी जाती रही है. लेकिन पिछले 2 सालों से करोना काल के दौरान यह प्रदर्शनी ऑनलाइन लगाई जा रही थी, जिसमे मुल्की व ग़ैर मुल्की अज़ादारी से जुड़ी फ़ोटो व पेंटिंग लगायी जाती है जो बड़े पैमाने पर ग़ैर मुस्लिम के हाथों भी तैयार की जाती है जो अपने आप में देश की गंगा जमुनी तहज़ीब की ज़िंदा मिसाल है.



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