Muslim Daughter Share in Parent's Property: आज समाज में लड़की और लड़के में भेदभाव बहुत ज्यादा हो गया है. कई बार देखने में आया है कि समाज में लड़के इसलिए पढ़ाई लिखाई और काम नहीं करते हैं कि उनके वालिद के पास बहुत प्रॉपर्टी है. उन लड़कों को पता है कि ये प्रॉपर्टी उनको मिलने वाली है. उनको और समाज में ज्यादातर लोगों को ये नहीं पता होता है कि उस जायदाद में लड़कियों का भी हिस्सा है. ऐसे में आज सरकार कानून लाकर लड़कियों को पिता की जायदाद में हिस्सा देने की बात करती है.


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जायदाद में बेटियों का हिस्सा
हालांकि, इस्लाम ने 1400 साल पहले ही लड़कियों को जायजाद में हिस्सा देने की बात कही थी. भारत में कई जगहों पर इस्लाम की बात पर अमल करते हैं. वह अपनी जायदाद में से बेटों के साथ बेटियों को भी हिस्सा देते हैं. इस ताल्लुक से कुरान में जिक्र आया है और इस पर कई हदीसें भी हैं.


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बेटियों को एक तिहाई हिस्सा 
एक हदीस में आता है कि अपनी बेटी को अपनी जायदाद में से एक तिहाई हिस्सा देना बेहतर है. एक दूसरी हदीस में है कि "तुम अपने वारिसों को मालदारी की हालत में छोड़ जाओ ये इससे बेहतर है कि तुम उन्हें तंगदस्ती की हालत में छोड़ दो कि वह लोगों के सामने हाथ फैलाएं." (सहीह बुखारी)


भाई का आधा हिस्सा
एक जगह कुरान में है कि "अल्लाह ताला तुम्हें तुम्हारी औलाद के बारे में हुक्म देता है कि एक लड़के को दो लड़कियों के बराबर हिस्सा मिलेगा." इस आयत में अल्लाह ताला ने साफ-साफ हुक्म दिया है कि जिस तरह जायदाद में बेटों का हक है उसी तरह बेटियों का भी है, इस आयत के नाजिल होने पर प्रोफेट मोहम्मद स0. ने हजरत सअद के भाई से कहलवाया कि अपने भाई के माल में से दो तिहाई लड़कियों को और आठवां हिस्सा उन की बेवा को दो, और बाकी माल तुम्हारा है.