Uttar Pradesh News: जन्माष्टमी से पहले मथुरा में बेहतरीन सजावट देखने को मिल रही है. शहर में एक मुस्लिम परिवार पिछले 50 सालों से भगवान कृष्ण, के लिए बेहतरीन पोशाकें बनाता है. इस परिवार के शानदार और बारीकी से डिजाइन किए गए पोशाक, जिनकी कीमत 10 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक है. उनकी बनाई पोषाक न केवल मथुरा में बल्कि पूरे भारत में पसंद की जाती है. न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक खूबसूरती से तैयार किए गए इन परिधानों की मांग हर साल बढ़ती जा रही है.


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एक दूसरे के त्योहार मनाते हैं
मथुरा अपने उत्सवों के जरिए सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाता है. यहां हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लेते हैं. मुस्लिम लोग होली और जन्माष्टमी जैसे हिंदू त्योहारों में शामिल होते हैं, जबकि हिंदू भी मुस्लिम त्योहारों को समान उत्साह से मनाते हैं.


मुस्लिम परिवार बनाता है पोशाक
एकता की यह भावना मुस्लिम परिवार में भी दिखाई देती है, जो भगवान कृष्ण की पोशाक बनाने की लंबे वक्त से चली आ रही परंपरा को जारी रखे हुए है. भगवान श्रीकृष्ण के लिए पोशाक बनाने की परंपरा मोहम्मद इकरार के परदादा से शुरू हुई और पीढ़ियों से चली आ रही है. इकरार और उनका परिवार अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित है और अपने काम के ज़रिए आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस करता है.


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पसंद की बनती है पोशाक
इकरार के मुताबिक "जब हम भगवान श्री कृष्ण की पोशाक तैयार करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे भगवान कृष्ण हमें हिदायत दे रहे हैं और डिज़ाइन जीवंत होते हैं.इन पोशाकों को बनाने के लिए कई घंटों की मेहनत दरकार होती है. पोशाक बनाते हुए मुस्लिम कारीगर इस बात का ध्यन रखते हैं कि पोशाक पूरी तरह से फिट आए और उसकी खूबसूरती भी बनी रहे.


हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
मौजूदा वक्त में यहां कम से कम 20 मर्द काम करते हैं और इन पोशाकों की मांग न केवल मथुरा वृंदावन में बल्कि पूरे देश में है. इकरार के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण के लिए पोशाक तैयार करने के लिए मुस्लिम परिवार की लगन मथुरा में धार्मिक और सांस्कृतिक सद्भाव का एक नमूना है.