MRM Appeal to Muslim: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने भारतीय समाज में सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए एक कदम उठाया है और इस बात पर जोर दिया है कि धार्मिक स्थलों पर झगड़ों को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है.


लोगों से की बड़ी अपील


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एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक और मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने इस बात पर जोर दिया कि अदालतें सर्वोपरि हैं, लेकिन धार्मिक स्थलों पर विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह नजरिया एकता, अखंडता, सद्भाव, भाईचारे और सुलह को बढ़ावा देता है. जिससे दुश्मनी खत्म होती है. 


इन मामलों को बातचीत के जरिए सुलझाना जरूरी


एमआरएम उन सभी जगहों पर "अदालत से बाहर समाधान" का आह्वान करता है, जहां कानूनी विवाद चल रहे हैं, क्योंकि यह किसी भी सभ्य समाज की पहचान है. एमआरएम की राष्ट्रीय संयोजक परिषद ने घोषणा की कि काशी, मथुरा और संभल जैसी जगहों पर विवादों को बातचीत के जरिए से सुलझाया जाना चाहिए, और हिंदू समुदाय के ऐतिहासिक पूजा स्थलों को बहाल किया जाना चाहिए.


मुसलमानों को सौंप दी जाएं मस्जिदें


साथ ही, एमआरएम ने प्रस्ताव दिया कि जिन मस्जिदों में अब नमाज़ नहीं होती, उन्हें मुस्लिम समुदाय को सौंप दिया जाए ताकि उन्हें बहाल किया जा सके और पुनर्जीवित किया जा सके. एमआरएम ने साफ किया कि इस्लाम में मूर्तिपूजा की इजाजत नहीं है. 


इस्लामिक टीचिंग के खिलाफ है


एमआरएम ने कहा, "ऐसी कोई भी मस्जिद जहां टूटी हुई मूर्तियां पाई जाती हैं, या ऐसी जगह जहां मंदिर होने के ऐतिहासिक, सामाजिक या प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक नमाज के लिए सही नहीं है. ऐसी प्रार्थनाएं अमान्य हैं. कुरान और हदीस के संदर्भों का हवाला देते हुए," एमआरएम ने कहा कि जबरन कब्जा की गई जमीन पर मस्जिदों की तामीर इस्लामिक टीचिंग के खिलाफ है. 


आज होने जा रहा है एमआरएम का एक बड़ा प्रोग्राम


एमआरएम का एक बड़ा कार्यक्रम 4 जनवरी को लखनऊ में होना है. इससे पहले एजेंडे पर चर्चा के लिए एक ऑनलाइन बैठक हुई, जिसमें 20 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के 70 स्थानों से प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. बैठक की अध्यक्षता एमआरएम ने की और इसमें कई छोटे-बड़े मुस्लिम संगठनों, बुद्धिजीवियों और नेताओं ने हिस्सा लिया था.