भद्रवाहः देश में नफरत पसंद लोग नफरत फैलाने की जितनी भी कोशिश करेंगे, अमन पंसद लोग उसका जवाब भी उतनी ही शिद्दत से देते रहेंगे. जम्मू-कश्मीर के डोडा में कुरसारी पंचायत के मुस्लिम निवासियों ने सांप्रदायिक सौहार्द की एक नई मिसाल कायम की है. यहां के एक पुराने मंदिर में बड़ी से मूर्तियों को स्थापित करने वाले मुसलमानों ने इलाके के हिंदू समुदाय के लोगों की मदद की. 


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500 से से 700 किग्रा था एक मूर्ति का वजन 
प्रदेश के भद्रवाह-डोडा राजमार्ग से तीन किलोमीटर दूर कुर्सारी इलाके में पर्वत की चोटी पर हाल में एक मंदिर का रिनोवेशन किया गया है. इस शिव मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा करने के लिए 500 किलोग्राम से 700 किलोग्राम वजन और ग्रेनाइट से बनी हुई छह मूर्तियों को राजस्थान से खरीकर कश्मीर लाया गया है. इतनी भारी मूर्तियों को मंदिर में स्थापित करना काफी मुश्किल काम था. इसलिए कुरसारी पंचायत के सरपंच साजिद मीर ने न सिर्फ सड़क निर्माण के लिए रखे बजट से 4.6 लाख रुपये इस काम के लिए आवंटित किए, बल्कि अपने समुदाय के 150 लोगांं को मंदिर में मूर्ति स्थापित करने में मदद करने के लिए भी भेजा था. 
दोनों समुदायों के लोगों ने मूर्तियों को मंदिर तक ले जाने के लिए मशीनों और रस्सियों का इस्तेमाल किया उसे मंजिल तक पहुंचाया है. नौ अगस्त को एक धार्मिक समारोह में इन मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा. 

पंचायत सचिव ने कहा, यही तो हमारी साझी विरासत है 
मीर ने बताया कि यही तो हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्य हैं, जो हमें विरासत में मिले हैं. यही वजह है कि हम उन लोगों के नापाक मंसूबों के शिकार नहीं हुए जो हमें धर्म की मुनियाद पर बांटने की कोशिश करते हैं. आज हमने फिर से दिखा दिया है कि हम सब एकजुट और एक हैं. मीर ने कहा, ‘’ मुस्लिम नौजवानों के इस सहयोग पर जो प्रतिक्रियाएं मिल रही है, उसे देखना काफी उत्साहजनक है. इस सहयोग को देखने के बाद सेना की स्थानीय टुकड़ी, सड़क निर्माण में जुटी कंपनियां और नागरिक प्रशासन भी आगे आकर इस काम में अपना पूरा सहयोग दिया है.’’  

पड़ोसियों के प्यार और स्नेह को देखकर खुशी होतीः मंदिर समिति 
उधर, शिव मंदिर समिति ने भी इस मुश्किल काम को पूरा करने में मुस्लिम समुदाय से मिले सहयोग के लिए उनकी तारीफ की है. मंदिर समिति के सद्र रविंदर प्रदीप ने कहा, ‘‘हमारे पड़ोसियों के प्यार और स्नेह को देखकर खुशी होती है, इनसे हमें ताकत मिलती है. हमने मूर्तियों को पहाड़ियों पर पहुंचाने के लिए पिछले चार दिनों में कड़ी मेहनत की, जो काम एक वक्त में असंभव लग रहा था.’’ 
एक स्थानीय निवासी हाजी अब्दुल गनी मस्ताना ने कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि हमारे नौजवान सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी भाईचारे की परंपरा को खूबसूरती से आगे बढ़ा रहे हैं.’’ 


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