कंपनी के दावे जितना गाड़ी ने नहीं दिया माइलेज; कोर्ट ने ग्राहक को दिलवाया इतने लाख का मुआवजा
NCDRC: राजीव शर्मा, जिन्होंने साल 2004 में 16-18 किमी प्रति लीटर माइलेज के वादे के आधार पर कार खरीदी थी. जब उन्हें पता चला कि वास्तविक माइलेज 10.2 किमी प्रति लीटर से काफी कम है तो उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई.
NCDRC directs Maruti Suzuki: NCDRC यानी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने चार पहिया वाहन बनाने वाली मशहूर कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के द्वारा ग्राहक को गलत जानकारी देने के लिए 1 लाख का जुर्माना लगाया है. दरअसल, राजीव शर्मा नाम के एक आदमी ने कंपनी के द्वारा उसकी खरीदी गई कार की ईंधन दक्षता के बारे में गलत जानकारी देने के लिए मारुति सुजुकी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद NCDRC ने आज कंपनी को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का हुक्म दिया है.
डॉ. इंदरजीत सिंह की अगुआई में में एनसीडीआरसी ने 20 अक्टूबर 2004 से कार निर्माता के विज्ञापन को भ्रामक घोषित किया. उन्होंने इस दौरान कहा कि इस तरह के विज्ञापन जारी करना निर्माता और डीलर की तरफ से "अनुचित व्यापार व्यवहार" है.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि राजीव शर्मा, जिन्होंने साल 2004 में 16-18 किमी प्रति लीटर माइलेज के वादे के आधार पर कार खरीदी थी. जब उन्हें पता चला कि वास्तविक माइलेज 10.2 किमी प्रति लीटर से काफी कम है तो उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई.
उन्होंने शुरू में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम से संपर्क किया, जिसने उनके दरख्वास्त को आंशिक रूप से एक्सेप्ट कर लिया और उन्हें मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये देने का हुक्म दिया. लेकिन मारुति सुजुकी की अपील के बाद मामला एनसीडीआरसी में चला गया, जहां डॉ. सिंह ने पिछले फैसलों को बरकरार रखा और निष्कर्ष निकाला कि विज्ञापित माइलेज के दावे भ्रामक थे और उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन कर रहे थे.
इसके अलावा, इसमें शामिल डीलरशिप डीडी मोटर्स अदालत में पेश होने में विफल रही, जिसकी वजह से उनके खिलाफ एक पक्षीय मामला आगे बढ़ाया गया. अब, मारुति सुजुकी को शर्मा को 1 लाख रुपये का भुगतान करने का हुक्म दिया गया है, क्योंकि आयोग ने ऑटोमोटिव उद्योग में पारदर्शी और सटीक जानकारी के अहमियत की पुष्टि की है.