Nizamuddin Markaz: दिल्ली HC ने मौलाना साद की मां के लिए दिया रिहायशी इलाके को खोलने का आदेश
जमात के नेता मौलाना साद की मां की अर्जी पर सुनवाई कर रहे जस्टिस योगेश खन्ना ने फरमान जारी किया कि उन्हें दो दिनों के भीतर चाबियां सौंपी जाएं.
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शहर की पुलिस को निजामुद्दीन मरकज के रिहाइशी हिस्से की चाबी वहां रहने वालों को सौंपने का सोमवार को हुक्म दिया. पिछले साल तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम के सिलसिले में एक एफआईआर के मद्देनजर ऑफिसरों की तरफ से इसे बंद कर दिया गया था.
जमात के नेता मौलाना साद की मां की अर्जी पर सुनवाई कर रहे जस्टिस योगेश खन्ना ने फरमान जारी किया कि उन्हें दो दिनों के भीतर चाबियां सौंपी जाएं और साफ किया कि अभी के लिए, वहां रहने वाले मुल्कियत के किसी भी गैर-रिहाइशी हिस्से में दाखिल नहीं हो सकते हैं.
अदालत ने एक निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली आर्जी पर नोटिस जारी किया, जिसमें अर्जीगुज़ार एक सीनियर शरही को उसके आवास तक जाने से महरूम किया गया था और आवासीय परिसर को बंद करने के किसी भी आदेश के वजूद पर पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई थी.
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कोर्ट ने कहा, 'इस बीच, आवासीय परिसर की चाबियां आज से दो दिनों के भीतर मुहैयाय कराएं. याचिकाकर्ता को अगले आदेश तक मरकज परिसर के किसी दूसरे हिस्से में प्रवेश नहीं करने का निर्देश दिया जाता है.'
अदालत ने कहा, 'बिला-शक परिसर को सील करने का कोई आदेश नहीं है और एक अप्रैल, 2020 से आवासीय परिसर में ताला लगा हुआ है.' अदालत ने कहा कि अर्ज़ीगुज़ार परिवार के ग्यारह लोगों के साथ परिसर में रह रहा था और कहा कि उन्हें मेहमान खाने में रहने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है.
अर्ज़ीगुज़ार की ओर से पेश सीनियर वकील रेबेका जॉन ने कहा कि ये धाराएं वर्तमान मामले पर लागू नहीं हैं और उनके मुवक्किल का आवास नहीं छीना जा सकता. अभियोजन पक्ष के वकील, अधिवक्ता अमित अहलावत ने कहा कि निवासी प्रासंगिक समय पर, कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए रह रहे थे.
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वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के जरिए से दाखिल अपनी याचिका में, याचिकाकर्ता खदीजा ने कहा है कि 31 मार्च, 2020 को, ऑफिसरों की तरफ से सैनिटाइजेशन के कथित उद्देश्य के लिए पूरी निजामुद्दीन मस्जिद को खाली करा लिया गया था और बंद कर दिया गया था. अधिकारियों ने आवासीय हिस्से समेत मरकज की चाबियां एक अप्रैल, 2020 को दिल्ली पुलिस को सौंप दी थी.
याचिका में कहा गया है कि चाबियां सौंपे हुए कई महीने बीत जाने के बावजूद अर्ज़ीगुज़ार या उसके परिवार के सदस्यों को अपने आवास में प्रवेश करने से रोका जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक अब इस मामले में अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी.
(इनपुट- भाषा के साथ भी)
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