नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा में मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, विधानसभा स्पीकर, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के वेतन-भत्तों में इजाफे से संबंधित पांच अलग-अलग बिल सोमवार को पास किए गए हैं. अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और बिल पर राष्ट्रपति के दस्तखत के सज्ञथ ही नया वेतनमान लागू हो जाएगा. वेतन और भत्तों में कुल 66 फीसदी से ज्यादा के इजाफे से संबंधित बिल पास किया गया है. 
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में विधायक को वेतन और भत्तों के रूप में फिलहाल 54,000 रुपए हर माह मिलते हैं, लेकिन वेतन और भत्ते में इजाफे के बाद उन्हें हर महीने 90,000 रुपए मिलेंगे. इसके बावजूद दिल्ली के विधायक अब भी देश में सबसे कम वेतन पाने वाले विधायकों में शामिल हैं. 

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किस मद में कितना पैसा मिल रहा है अभी 
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के विधायक को फिलहाल 12,000 रुपए हर महीने वेतन मिलता है, जो अब बढ़कर 30,000 रुपए हो जाएंगे. वहीं, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 18,000 रुपए से बढ़कर 25,000 रुपए, जबकि वाहन भत्ता 6,000 रुपए से बढ़कर 10,000 रुपए पर पहुंच जाएगा. इसी तरह, टेलीफोन भत्ता 8,000 रुपए की जगह 10,000 रुपए मिलने लगेगा, जबकि सचिवालय भत्ता 10000 रुपए से बढ़कर 15000 रुपए हो जाएगा.

आखिरी बार साल 2011 में बढ़ा था विधायकों का वेतन और भत्ता 
गौरतलब है कि दिल्ली के विधायक पिछले कई सालों से वेतन वृद्धि का मुद्दा उठा रहे हैं. 2018 में विशेष रवि ने यहां तक कहा था कि कम वेतन के चलते कुंवारे विधायकों की शादी तक नहीं हो रही है, उनके लिए वधू खोजना मुश्किल हो जाता है. दिल्ली के विधायकों का वेतन-भत्ता आखिरी बार साल 2011 में बढ़ाया गया था.

हिमाचल प्रदेश में मिलता है इतना वेतन और भत्ता 
एक गैर-लाभकारी संगठन ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के आंकड़ों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के विधायकों को हर महीने 55,000 रुपए वेतन मिलता है, जबकि उनका निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, दैनिक भत्ता, सचिव भत्ता, टेलीफोन भत्ता क्रमशः 90,000 रुपए, 1,800 रुपए, 30,000 रुपए और 15,000 रुपए है. 

दिल्ली से भी गरीब हैं केरल के विधायक 
‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के मुताबिक, केरल के विधायकों का वेतन दिल्ली के विधायकों से भी कम है. उन्हें प्रति माह सिर्फ 2,000 रुपए मिलते हैं. संगठन के मुताबिक, केरल के विधायकों को सचिव भत्ता भी नहीं दिया जाता और उनका निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 25,000 रुपए है.

तेलंगाना में में 2.3 लाख रुपए हैं निर्वाचन भत्ता 
वहीं, तेलंगाना के विधायकों का वेतन भी 20,000 रुपए प्रति माह है, लेकिन उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में 2.3 लाख रुपए मिलते हैं, जबकि सरकार द्वारा रिहाईश मुहैया नहीं कराए जाने पर उसके बदले आवासीय भत्ता भी दिया जाता है.

इन छह राज्यों में जाने कितना है एमएलए का वेतन और भत्ता 
आंकड़ों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मिजोरम और पश्चिम बंगाल में विधायकों का वेतन क्रमशः 12,000, 30,000, 20,000, 25,000, 80,000 और 10,000 रुपए है.

बंगाल के विधायकों को मिलता है सबसे कम निर्वाचन भत्ता 
आंध्र प्रदेश के विधायकों को निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में 1.13 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के विधायकों के मामले में यह धनराशि क्रमशः 25,000, 1.5 लाख, 30,000, 25,000, 40,000 और 4,000 रुपए है.

विधायकों को सबसे ज्यादा वेतन देता है उत्तराखंड 
छत्तीसगढ़ के विधायकों को 15,000 रुपए अर्दली भत्ता और 10,000 रुपए चिकित्सा भत्ता जैसे भत्ते भी मिलते हैं. इसी तरह, उत्तराखंड के विधायकों का कुल वेतन-भत्ता 1.82 लाख रुपये से ज्यादा है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) शासित पंजाब के विधायकों के मामले में यह धनराशि 95,000 रुपए के आसपास है. मिजोरम के विधायकों का वेतन-भत्ता भी करीब 1.50 लाख रुपये है.


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