नोएडा: नोएडा और दिल्ली के बीच चलने वाली मेट्रो में एक और नया बाब (अध्याय) जुड़ गया है. पीएम मोदी ने देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह ट्रेन जनकपुरी पश्चिम से बॉटेनिकल गार्डन, नोएडा तक मजेंटा लाइन पर चलेगी. ड्राइवरलेस मेट्रो का सपना अब हकीकत बन चुका है. लगभग 38 किलोमीटर लंबी और 25 मेट्रो स्टेशन वाली मजेंटा लाइन पर बिना ड्राइवर के ही मेट्रो का तकनीक के जरिए परिचालन होगा. यह लाइन डोमेस्टिक एयरपोर्ट को भी सीधे कनेक्ट करती है.


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ड्राइवरलेस मेट्रो को हरी झंडी दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज से 3 साल पहले मजेंटा लाइन का आगाज़ हुआ था. अब इसी लाइन पर ड्राइवरलेस मेट्रो की शुरुआत हो रही है. पीएम मोदी ने कहा कि मुस्तकबिल की जरूरतों के लिए मुल्क काम कर रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि कुछ वक्त पहले तक अफवाह के हालात बने रहते थे लेकिन कोई मुस्तकबिल की तैयारी नहीं थी. जिसकी वजह से शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर की मांग और पूर्ति में काफी फर्क आया. शहरीकरण को चुनौती ना माना जाए और मौके के तौर पर इस्तेमाल किया जाए.


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अब पिंक लाइन पर ड्राइवरलेस मेट्रो की तैयारी
देश की पहली ड्राइवरलेस ट्रेन दिल्ली मेट्रो के मजेंटा लाइन और पिंक लाइन पर चलाई जानी हैं. पहले चरण में ड्राइवरलेस ट्रेन मजेंटा लाइन पर जनकपुरी पश्चिम से नोएडा के बॉटनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन के बीच दौड़ेगी. उसके बाद साल 2021 में पिंक लाइन में 57 किलोमीटर तक ड्राइवरलेस मेट्रो चलाने की योजना है, जो मजलिस पार्क से शिव विहार तक की दूरी तय करेगी.


दुर्घटना के चांस न के बराबर
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) चालक रहित मेट्रो (Driverless Metro) चलाने की तैयारी पिछले दो साल से कर रहा था. हालांकि, बिना चालक वाली मेट्रो के बारे में सुनकर यात्री अपनी सुरक्षा को लेकर जरूर चिंतित थे, लेकिन DMRC ने दावा किया है कि चालक से एक बार गलती हो सकती है, मगर चालक रहित मेट्रो से किसी भी तरह की दुर्घटना होने की संभावना नहीं है.


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ऐसे समझिए, कैसे बनेगा मेट्रो का सफर और सुरक्षित
ट्रेन के दोनों तरफ हाई एंड सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. इसके जरिये मेट्रो ट्रेन के आगे की लाइव फुटेज सीधे कंट्रोल रूम में देखी जा सकेगी. इसके अलावा ट्रेन के अंदर लगे कैमरों की भी लाइव फुटेज सीधे कंट्रोल रूम में जाएगी. इमरजेंसी के दौरान यात्री सीधे कंट्रोल रूम में बैठे व्यक्ति से वीडियो चैट भी कर सकते हैं. 


सेंसर बचाएगा किसी भी तरह के हादसे से
मेट्रो की पूरे समय रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी. ट्रेन का परिचालन पूरी तरह सिग्नलिंग सिस्टम पर आधारित होगा. अगर कभी सिग्नलिंग की समस्या आती है तो उसकी सूचना सीधे कंट्रोल रूम में पहुंच जाएगी. इसके लिए सिग्नलिंग प्रणाली के टावर पर सेंसर्स लगाए गए हैं. इन्हीं के जरिए अगर ट्रैक पर कोई खराबी आएगी तो वह जानकारी भी सीधे कंट्रोल रूम में पहुंच जाएगी. इसके अलावा दो ट्रेनों के बीच टक्कर न हो और एक निर्धारित दूरी बनी रहे यह भी सेंसर के जरिए ही कंट्रोल किया जाएगा.


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ज्यादा फेरे लगाएगी मेट्रो
वैसे तो मेट्रो का संचालन पूरी तरह तकनीक के जरिए होगा. हालांकि, फिर भी यात्रा के दौरान यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत होती है तो उसके लिए ट्रेन के अंदर एक व्यक्ति मौजूद रहेगा जिससे लोग मदद मांग सकते हैं. इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है कि ड्राइवरलेस मेट्रो के संचालन से ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी भी बढ़ेगी और यात्रियों को ट्रेन के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.


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