कोरोना वैक्सीन में सुअर की चर्बी होने की खबर पर कुछ मुस्लिम नेताओं ने इसकी मुखालिफत की थी. यहां तक कि रजा एकेडमी मुम्बई ने सरकार से अपील की थी कि वे वैक्सीन मामले में भी चीन से किसी तरह की मदद न ले.
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देवबंद: दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) ने कोरोना वैक्सीन के खिलाफ उल्टे-सीधे बयान देने वालों को नसीहत दी है. दरअसल दारुल उलूम ने वैक्सीन को लेकर किसी भी तरह का फतवा देने से इनकार कर दिया है.
ज़िंदगी से नहीं करना चाहिए खिलवाड़
मीडिया तर्जुमान अशरफ उस्मानी ने कहा कि कोरोना वैक्सीन को लेकर जो लोग उल्टी-सीधी बयानबाजी कर रहे हैं उन्हें जिंदगी से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए और उन पर फौरन रोक लगनी चाहिए क्योंकि कोरोना वैक्सीन अभी हमारे सामने आई नहीं है और उसके अंदर क्या-क्या मिला हुआ है अभी तक कुछ भी कहना सही नहीं है.
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कोरोना वैक्सीन में सुअर की चर्बी होने की खबर पर कुछ मुस्लिम नेताओं ने इसकी मुखालिफत की थी. यहां तक कि रजा एकेडमी मुम्बई ने सरकार से अपील की थी कि वे वैक्सीन मामले में भी चीन से किसी तरह की मदद न ले. उन्होंने आगे कहा कि ऐसी खबर मिल रही है कि चीन अपने वैक्सीन में सुअर की चर्बी मिला रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी मुसलमानों से भी यह अपील की थी कि वे तब तब कर इस वैक्सीन का इस्तेमाल न करें जब हमारे मुफ्ती इसकी इजाज़त नहीं देते.
दारुल उलूम की तरफ से कहा गया है कि उसकी तरफ से कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई भी फतवा जारी नहीं किया गया है। कुछ लोग फर्जी फतवा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। दारुल उलूम ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन अभी तक भारत में आई ही नहीं है, इसलिए वो इस पर कुछ नहीं कहेगा। pic.twitter.com/7skAeCiBaw
— shuaib raza شعیب رضا (@razashoaib87) December 27, 2020
वहीं कुछ अन्य इस्लामिक नेताओं ने वैक्सीन को सियासी चश्में न देखने की अपील की है. मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने मुस्लिम समाज से किसी भी तरह के बहकावे में आने की बजाये कोरोना वैक्सीन लगावाने की बात कही है. उनका कहना है कि जान की हिफाज़त सबसे बड़ी चीज़ है इसलिए सभी वैक्सीन लगवाएं, वैक्सीन को पार्टी या लीडर के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
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इसके अलावा इस्लामिक स्कॉलर अतीकुर्रहमान का कहना है,"अल्लाह ने जान बचाने के लिए हराम चीज़ों को हलाल करार दिया है." उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम लीडर्स का काम समाज को बेदार करना है, इसलिए इस काम में कोई रुकावट न डालें.
क्या कहती है UAE फतवा काउंसिल
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की "यूएई फतवा काउंसिल" (UAE Fatwa Council) ने कोरोना वैक्सीन के टीकों में सुअर के मांस (PORK) के जिलेटिन के इस्तेमाल होने पर भी इसे मुसलमानों के लिए जायज़ करार दिया है. यूएई फतवा काउंसिल के अध्यक्ष अब्दुल्ला बिन बय्या ने कहा कि अगर कोई और विकल्प (मुतबादिल) नहीं है तो कोरोना वायरस टीकों को इस्लामी पाबंदियों से अलग रखा जा सकता है. क्योंकि इंसान की ज़िंदगी बचाना पहले जरूरी है. काउंसिल की दूसरी दलील यह भी है कि पोर्क-जिलेटिन को दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जाना है और न कि खाने के तौर पर. ऐसे में दुनिया भर के मुसलमान इस वैक्सीन को लगवा सकते हैं.
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