`तेरे गालों पे जब गुलाल लगा, ये जहाँ मुझ को लाल लाल लगा`
Poetry on Holi 2024: उर्दू और हिंदी के कई शायरों ने रंग और प्यार पर खूबसूरत लाइनें लिखी हैं. इन्हीं लाइनों को हम आपके सामने पेश कर रहे हैं. आप इन शेरों को होली के मौके पर अपने करीबियों को भेज सकते हैं और होली की मुबारकबाद दे सकते हैं.
Poetry on Holi 2024: आज यानी 25 मार्च को होली है. इस मौके पर लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं. मुबारकबाद देते हैं और मीठा खिलाते हैं. होली आते ही फिजाओं में गुलाल और प्यार का रंग फैल जाता है. जहां रंग और प्यार की बात हो, वहां शेर व शायरी लाजमी है. होली के मौके पर कई शायरों ने खुशी और गम वाली शायरियां लिखी हैं. पेश हैं होली पर खूबसूरत शेर.
तेरे गालों पे जब गुलाल लगा
ये जहाँ मुझ को लाल लाल लगा
नासिर अमरोहवी
अब की होली में रहा बे-कार रंग
और ही लाया फ़िराक़-ए-यार रंग
इमाम बख़्श नासिख़
मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ
यूँ भी अक्सर बहार आई है
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
वो तमाशा ओ खेल होली का
सब के तन रख़्त-ए-केसरी है याद
फ़ाएज़ देहलवी
पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसाल
जिन को अभी बसंत की ऐ दिल ख़बर नहीं
कल्ब-ए-हुसैन नादिर
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बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
कुछ किसी का नहीं किसी को ख़याल
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका
बिन होली खेले ही साजन भीग गया
मुसव्विर सब्ज़वारी
ग़ैर से खेली है होली यार ने
डाले मुझ पर दीदा-ए-ख़ूँ-बार रंग
इमाम बख़्श नासिख़
मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के
हम से तुम कुछ माँगने आओ बहाने फाग के
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
होली के अब बहाने छिड़का है रंग किस ने
नाम-ए-ख़ुदा तुझ ऊपर इस आन अजब समाँ है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मुँह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल
होली की शाम ही तो सहर है बसंत की
लाला माधव राम जौहर
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में
भारतेंदु हरिश्चंद्र
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