Poetry on Time: वक़्त कभी रुकता नहीं. यह हमेशा चलता रहता है. बिगड़ी हुई चीजें वक़्त के साथ ठीक हो जाती हैं. इंसान का वक़्त कभी अच्छा होता है तो कभी बुरा होता है. एक वक़्त में इसान जवान होता है तो उसका एक दूसरा वक़्त भी आता है कि वह बूढ़ा हो जाता है. कई शायरों ने वक़्त को अपनी शायरी का मौजूं बनाया है और इस पर अपनी कलम चालाई है. पढ़ें वक़्त पर बेहतरीन शेर


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ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा 
वक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा 
-अज़हर लखनवी
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सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं 
गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं 
-मीर हसन
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उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद 
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल 
-शकील बदायुनी
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वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो 
हौसले मुश्किलों में पलते हैं 
-महफूजुर्रहमान आदिल
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वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर' 
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी 
-नासिर काज़मी
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वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर 
आदत इस की भी आदमी सी है 
गुलज़ार
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सुब्ह होती है शाम होती है 
उम्र यूँही तमाम होती है 
-मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
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इक साल गया इक साल नया है आने को 
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को 
-इब्न-ए-इंशा
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अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना 
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है 
-बशीर बद्र
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जब आ जाती है दुनिया घूम फिर कर अपने मरकज़ पर 
तो वापस लौट कर गुज़रे ज़माने क्यूँ नहीं आते 
-इबरत मछलीशहरी
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सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें 
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता 
-निदा फ़ाज़ली
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या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से 
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है 
-जिगर मुरादाबादी
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