BJP को AMU से परहेज, वहां के VC से प्रेम; कुलपति को बनाया विधान परिषद सदस्य
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मनोनीत होने के बाद एएमयू के कुलपति प्रोफ़ेसर तारिक मंसूर ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. प्रोफ़ेसर तारिक मंसूर पर शुरू से ही भाजपा का समर्थक होने के आरोप लगते रहे हैं.
अलीगढ़ः अक्सर हिंदूवादी संगठनों के निशाने पर रहने वाले उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवसिर्टी के कुलपति प्रोफ़ेसर तारिक मंसूर को प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य विधान परिषद के सदस्य के तौर पर मनोनीत किया है. सोमवार रात इसकी आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी. प्रोफेसर तारिक मंसूर उत्त्र प्रदेश के राज्य विधान परिषद में राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी और राज्य हज कमेटी के सद्र मोहसिन रजा के बाद भाजपा के तीसरे मुस्लिम सदस्य होंगे.
गौरतलब है कि एएमयू भाजपा शासन में सरकार के साथ-साथ दक्षिणथी संगठनों के भी निशाने पर रहता है. लाइब्रेरी में जिन्ना के फोटो फ्रेम, कैंपस में सीएए विरोधी आंदोलन और अपने अल्पसंख्य चरित्र की वजह से ये यूनिवर्सिटी पिछले कुछ सालों में सुर्खियों में रही है. उत्तर प्रदेश की सियासत की समझ रखने वाले जानकार मानते हैं कि भाजपा इस बहाने मुस्लिम मतदाताओं में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. उसे समझ आ गया है कि मुस्लिमों को छोड़कर या उसके खिलाफ होकर ज्यादा दिनों तक राजनीति नहीं की जा सकती है.
सरकार ने बढ़ाया था कार्यकाल
गौरतलब है कि प्रोफेसर तारिक मंसूर ने 17 मई 2017 को पांच साल के वक्फे के लिए कुलपति के तौर पर अपना ओहदा संभाला था. उनका कार्यकाल पिछले साल मई में ही खत्म हो गया था, लेकिन महामारी से पैदा हुए असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया था.
प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज होंगे एक्टिंग कुलपति
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए मनोनीत होने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ही मंगलवार को अपने ओहदे से इस्तीफा दे दिया. एएमयू के रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान ने इसकी तस्दीक करते हुए बताया है कि यूनिवर्सिटी के प्रति कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ अगले कुलपति की नियुक्ति तक कुलपति के तौर पर काम करेंगे.
आखिरी बार छात्रों को किया खिताब
प्राफेसर तारिक मंसूर ने अपना इस्तीफा देने से पहले तीन/चार अप्रैल की रात को यूनिवर्सिटी के छात्रों और कर्मचारियों को लिखे एक खुले पत्र में कहा, ‘‘जैसा कि मैं अपने आहदे से इस्तीफा दे रहा हूं. यह आखिरी बार है जब मैं आपको कुलपति के रूप में खिताब कर रहा हूं. मुझे अच्छे और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान छह साल तक संस्थान की सेवा करने का मौका मिला. इस वकफे के दौरान खास तौर से कोविड-19 महामारी से पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए एएमयू समुदाय का धन्यवाद...’’
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