Rahat Indori Hindi Shayari: राहत इंदौरी उर्दू के बहुत मशहूर शायरों में शुमार होते हैं. उनका बचपन का नाम राहत कुरैशी था. उनकी पैदाईश 1 जनवरी 1950 को हुई थी. राहत इंदौरी ने बॉलीवुड को बेहतरीन गाने दिए. उन्होंने 'कोई जाए तो ले आए', 'नींद चुराई मेरी', 'बुमरो' और 'तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम' जैसे गाने लिखे. राहत इंदौरी को मध्य प्रदेश की भोज यूनिवर्सिटी ने 1985 में पीएचडी डिग्री से नवाजा.


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सूरज सितारे चाँद मिरे साथ में रहे 
जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे 


अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है 
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते 


रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं 
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है 


तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा 
मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा 


अब इतनी सारी शबों का हिसाब कौन रखे 
बड़े सवाब कमाए गए जवानी में 


मैं करवटों के नए ज़ाइक़े लिखूँ शब-भर 
ये इश्क़ है तो कहाँ ज़िंदगी अज़ाब करूँ 


जा-नमाज़ों की तरह नूर में उज्लाई सहर 
रात भर जैसे फ़रिश्तों ने इबादत की है 


आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में 
कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो 


चाँद सूरज मिरी चौखट पे कई सदियों से 
रोज़ लिक्खे हुए चेहरे पे सवाल आते हैं 


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सोए रहते हैं ओढ़ कर ख़ुद को 
अब ज़रूरत नहीं रज़ाई की 


रात की धड़कन जब तक जारी रहती है 
सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है 


मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना 
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना 


ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर 
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे 


इक मुलाक़ात का जादू कि उतरता ही नहीं 
तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है 


हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं 
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं 


मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता 
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी 


मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे 
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले 


वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा 
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया 


ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे 
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो 


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