गणतन्त्र दिवस पर खास: भारत का संविधान अल्पसंख्यकों को देता है ये अधिकार, इसलिए सिर उठाकर जीते हैं मुसलमान
Republic Day 2024: भारत में हर धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं. सभी को समानता का अधिकार दिया गया है. भारतीय संविधान ने अल्पसंख्यकों को कई अधिकार दिए हैं.
Republic Day 2024: इस साल भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू किया था. भारत का संविधान दुनिया के सभी देशों से लंबा है. भारत इसी में दर्ज कानूनों के हिसाब से चलता है. इसमें सबको बराबरी का अधिकार दिया गया है. यह अंदेशा जताया गया है कि भारत में धार्मिक तौर से बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यकों का शोषण कर सकते हैं, इसलिए भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों को कुछ अधिकार दिए गए हैं, और उन्हें लागू करने के लिए सरकारों को बाध्य किया गया है. अगर उनके अधिकारों का सरकारें उलंघन करती है, तो सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देने और उनके अधिकारों का संरक्षण करने की ज़िम्मेदारी दी गई है. आइए इनके बारे में जानते हैं.
अल्पसंख्यक और भारत
संविधान में भाषा और धर्म की बुनियाद पर अल्पसंख्यकों को स्वीकार किया गया है. संविधान में अल्पसंख्यकों को संरक्षित करने का भी प्रावधान है. भारत में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के अलावा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NATIONAL COMMISSION FOR MINORITIES) बनाया गया है. संविधान में धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत है. यह धर्म की बुनियाद पर विभेद किए जाने का विरोध करता है. इसके तहत भारत में सभी धर्मों को समान रूप से अपने धर्म पर चलने, उसके मुताबिक आचरण करने और अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने की इजाजत है.
संविधान में अल्पसंख्यकों को अधिकार
अनुच्छेद 14- देश के सभी लोगों को बिना उसके जाति, धर्म, साम्प्रदाय, रंग- रूप और लिंग भेदभाव के 'कानून के समक्ष समानता' और 'कानूनों का समान संरक्षण' का अधिकार देता है.
अनुच्छेद 15(1) और (2)- ये अधिकार देता है कि भारत में धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव पर निषेध है.
अनुच्छेद 16(1) और (2) - राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों को समान अवसर दिए जाएंगे.
अनुच्छेद 25(1)- लोगों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार देता है.
अनुच्छेद 28- हर धर्म को ये आजादी है कि वह शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा दे. इसके तहत धार्मिक पूजा में भाग लेने की आजादी है.
अनुच्छेद 30(1)- सभी धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और प्रशासित करने का अधिकार है.
अनुच्छेद 30(2)- अल्पसंख्यक-प्रबंधित शैक्षणिक संस्थानों को राज्य से सहायता प्राप्त करने के मामले में भेदभाव नहीं किया जाएगा.