RSS and Dara  Shikoh: कुछ सालों पहले RSS के सह सरकार्यवाहक कृष्ण गोपाल ने कहा था कि "दारा शिकोह सच्चे हिंदूस्तानी और भारतीयता के प्रतीक थे". संघ पिछले कई सालों से मुगल बादशाह औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह की शिक्षाओं को बढ़ावा देने में लगा है. संघ ने दारा पर रिसर्च भी शुरू किया है. मीडिया रिपोर्ट से पचा चला है कि संघ दारा की शिक्षाओं पर और काम करेगा. 


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इसके इतर कुछ युनिवर्सिटियां दारा शिकोह के काम पर भी शोध करेंगी. दारा शिकोह की किताबों को अलग-अलग भाषाओं में ट्रांस्लेट किया जाएगा. हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी ने एक पैनल बनाने का ऐलान किया है. इसमें हिंदू, मुस्लिम और ईसाई विद्वानों को शामिल किया जाएगा. जो दारा के बारे में रिसर्च करेंगे. जामिया मिल्लिया इस्लामिया, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू युनिवर्सिटी, दिल्ली युनिवर्सिटी, जवाहर लाल युनिवर्सिटी भी इसी तरह के पैनल बनाएंगी.


युनिवर्सिटियां करेंगी RSS की मदद


RSS दारा शिकोह पर रिसर्च कराना चाहता है. इसके लिए नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज, AMU और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू युनिवर्सिटी को साथ में लिया गया है. यह युनिवर्सिटियां दारा शिकोह पर रिसर्च के लिए RSS की मदद करेंगी. 


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सरकार तलाशेगी दारा शिकोह की कब्र


साल 2020 में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने दारा शिकोह की कब्र तलाश करने के लिए एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी में 7 सदस्य थे. बताया जाता है कि साल 1659 में दारा शिकोह की हत्या कर दी गई. उन्हें हुमायूं के मकबरे में दफना दिया गया. हुमायूं के मकबरे में 140 कब्रे हैं. इन कब्रों में दारा शिकोह की कब्र को तलाश करना बहुत मुश्किल काम है. इसलिए यह पैनल बनाया गया.


संघ दारा का प्रचार क्यों करना चाहता है?


कई इतिहासकार औरंगजेब को कट्टरपंथी बताते हैं. उनका मानना है कि औरंगजेब मुसलमानों के अलावा दूसरे धर्मों से भेदभाव करते थे. औरंगजेब पर कई मंदिर तोड़ने का भी इल्जाम है. इसके उलट दारा शिकोह को उदारवादी बताया जाता है. साल 2019 में आरएसएस के एक नेता ने कहा था कि अगर औरंगजेब की जगह दारा शिकोह बादशाह बनते तो इस्लाम कहीं ज्यादा फलता फूलता. 


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