दिल्ली में झारखण्ड चुनाव इफ़ेक्ट; सराय काले खां चौक का बदला गया नाम; आदवासी नेता पर रखा नया नाम
Sarai Kale Khan Chowk Name Changed: आज देश भर में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं मनाई गई है. बिरसा मुंडा मुंडा को बिहार और झारखंड में भगवान की तरह पूजा की जाती है. इस दौरान केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.
Sarai Kale Khan Chowk Name Changed: झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा इलेक्शन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मोदी सरकार ने दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदल दिया है. अब सराय काले खां चौक, बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने यह जानकारी दी है.
दरअसल, आज भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती है. इस मौके पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर सराय काले खां चौक का नाम बदलने का ऐलान किया है. मनोहर लाल खट्टर ने नाम बदलने का ऐलान करते हुए कहा, "मैं आज ऐलान कर रहा हूं कि आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर का बड़ा चौक अब भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाना जाएगा. इस प्रतिमा और चौक का नाम देखकर न सिर्फ दिल्ली के नागरिक बल्कि बस स्टैंड पर आने वाले लोग भी उनके जीवन से प्रेरणा ले सकेंगे."
झारखंड-बिहार में भगवान की तरह हैं बिरसा मुंडा
वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले को सियासी नजरिए से देखा जा रहा है. क्योंकि झारखंड में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है. ऐसे में आज उनकी 150वीं जयंती है. इस दिन आदिवासी समाज के लिए बेहद ही खास दिन होता है. आदिवासी समाज इस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाता है. जिसकी शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी.
सियासी फायदे के लिए बदला गया सराय काले खां चौक का नाम
केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीतिक जानकार शम्स सिद्दीकी का मानना है कि मोदी सरकार ने पॉलिटिकल माइलेज लेने के लिए सराय काले खां चौक का नाम बदला गया है. क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि पहले चरण के मतदान में बीजेपी पिछड़ गई है और बीजेपी किसी भी कीमत पर झारखंड जीतना चाहती है. इसलिए केंद्र सरकार आदिवासी समुदाय के वोटों को अपनी ओर शिफ्ट करना चाहती है. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से झारखंड में बीजेपी को कितना फायदा होगा?
कौन है बिरसा मुंडा
भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को रांची के उलिहातु गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और मां का नाम करमी मुंडा था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई मिशनरी स्कूल से की थी. पढ़ाई के दौरान उन्होंने देखा कि अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर अत्याचार किए जा रहे थे. उन्होंने इस जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई और 1895 में भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ लगान माफी आंदोलन शुरू किया. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया. 1900 तक भगवान बिरसा मुंडा और अंग्रेजों के बीच जंग होते रहे.