पटनाः समाज में दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने का काम सिर्फ राजनीति दल या उसके समर्थक आम आदमी ही नहीं कर रहे हैं बल्कि सरकार के कुछ आला अफसर भी इस काम में जी जान से जुटे रहते हैं. अगर आपको इस बात पर यकीन न हो तो बिहार के एक अफसर का मामला जानने के बाद आपकी धारणा बदल जाएगी. 
बिहार में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी को कथित रूप से सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने वाली सामग्री पोस्ट करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इतवार को यह जानकारी दी है. 


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बिहार प्रशासनिक सेवा का अफसर है आलोक कुमार
एडीजी कानून व्यवस्था संजय सिंह के मुताबिक, बिहार प्रशासनिक सेवा के अफसर आलोक कुमार को शनिवार को आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मुकदमे की बुनियाद पर गिरफ्तार किया गया है. ईओयू वॉट्सऐप पर फॉरवर्ड किए गए एक संदेश को लेकर शिकायत की जांच कर रही थी, जिसमें कथित तौर पर मुसलमानों को बदनाम किया गया था.

निर्वाचन विभाग में उप सचिव के रूप में तैनात है आरोपी 
जांच में पता चला कि यह संदेश झारखंड निवासी कुमार के मोबाइल फोन से भेजा गया था, जो पटना में निर्वाचन विभाग में उप सचिव के रूप में तैनात हैं. सिंह ने कहा कि कुमार को यहां उनके घर से गिरफ्तार किया गया और पूछताछ के लिए सचिवालय थाने लाया गया था. इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. आलोक ने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक तस्वीर शेयर की जिसमें एक बूढ़ा मुस्लिम शख्स एक छोटी बच्ची को ले जाता दिखाई दे रहा है. रास्ते में उस बूढ़े शख्स से एक इंसान कुछ पूछता है.  


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