`ये मूड खराब करने वाली बात है`, बिलकिस बानो केस पर इसलिए जज ने दिया रिएक्शन
Bilkis Bano: बिलकिस बानो केस को बार-बार लिस्ट किए जाने की मांग पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई है. 13 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई होनी थी लेकिन एक ने बेंच से खुद को अलग कर लिया जिस वजह से केस की सुनवाई नहीं हो सकी.
Bilkis Bano: बिलकिस बानो केस की पैरवी कर रहे वकील को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इसलिए फटकार लगा दी कि उन्होंने कई बार केस की सुनवाई की मांग की. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूर्ण ने कहा कि "बार-बार ऐसी अपील करने का क्या तुक है जब अदालत ने बीते दिन इसे लिस्ट कर दिया था. यह अलग बात है कि एक जज ने खुद को मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया."
सुनवाई का वक्त तय नहीं
दरअसल गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने मुजरिमों को छोड़ने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटीशन दाखिल की है. मामले की पैरवी एडोवकेट शोभा गुप्ता कर रही हैं. उनके मुताबिक बिलकीस की अर्जी रजिस्टर हो गई है लेकिन उस पर कब सुनवाई होगी यह तय नहीं हो पा रहा है.
मूड खराब करने वाली बात
बिल्किस बानो मामले में 13 नवंबर को जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच में सुनवाई होनी थी, लेकिन जो बेंच सुनवाई करने वाली थी उससे जस्टिस त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया. शोभा गुप्ता ने ये मामला जब चीफ जस्टिस के पास रखा तो वह नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि बार-बार ये बात कहने का का क्या मतलब है. ये मूड खराब करने वाली दलील है.
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15 अगस्त को हुई मुजरिमों की रिहाई
ख्याल रहे कि बिल्कीस बानो केस में इसी साल 15 अगस्त को 11 मुजरिमों को रिहा कर दिया गया था. मुजरिमों की रिहाई गुजरात के 1992 एक्ट के तहत हुई. इस पर समाज के कई लोगों ने नाराजकी जताई थी. बिलकिस बानो ने अपनी अर्जी में लिखा था कि 11 मुजरिमों को रिहा किए जाने का फैसला उनके लिए, उनकी बड़ी हो रही बेटियों और समाज के लिए झटका है.
क्या है मामला?
ख्याल रहे कि बिलकिस बानो पांच महीने की प्रेगनेंट थीं. इसी दौरान साल 2002 में उनके साथ गैंग रेप किया गया. इस दौरान बिलकिस बानो के परिवार के 7 लोगों का कत्ल कर दिया गया था जिसमें उनकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी. बिलकिस बानो ने एक मुल्जिम की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के 13 मई, 2022 के हुक्म की समीक्षा के लिए एक अलग अर्जी भी दायर की है.
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