सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसले में कहा कि ट्रांसजेंडर की शादियों का मामला विषमलैंगिक संबंध की प्रकृति का है और इसे कानूनी मान्यता दी जानी चाहिए. चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़. की सदारत वाली संविधान पीठ ने कहा, "चूंकि एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति सिस-पुरुष या सिस-महिला जैसे विषमलैंगिक रिश्ते में हो सकता है, एक ट्रांसवुमन और एक ट्रांसमैन, या एक ट्रांसवुमन और एक सिसमैन, या एक ट्रांसमैन और एक सिसवुमन के बीच रिश्ते को विवाह कानूनों के तहत रजिस्टर किया जा सकता है."


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ट्रांसजेंडर कर सकते हैं शादी


इसमें कहा गया है कि एक ट्रांसजेंडर पुरुष को व्यक्तिगत कानूनों सहित देश में विवाह को नियंत्रित करने वाले कानूनों के तहत एक सिसजेंडर महिला से शादी करने का अधिकार है. फैसले में कहा गया है, "इसी तरह, एक ट्रांसजेंडर महिला को एक सिजेंडर पुरुष से शादी करने का अधिकार है. एक ट्रांसजेंडर पुरुष और एक ट्रांसजेंडर महिला भी शादी कर सकते हैं." 


विषमलैंगिक से हो सकती है शादी


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटरसेक्स शख्स जो खुद को पुरुष या महिला के रूप में पहचानते हैं और विषमलैंगिक विवाह करना चाहते हैं, उन्हें भी शादी करने का हक होगा. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि शादी केवल 'जैविक' पुरुषों और 'जैविक' महिलाओं के बीच ही होनी चाहिए. हालांकि, केंद्र के सर्वोच्च अधिकारी, अटॉर्नी जनरल की लिखित दलीलों में कहा गया है कि: "ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 से उत्पन्न होने वाले ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से संबंधित मुद्दे एक अलग स्तर पर खड़े हैं और उन्हें संबोधित किया जा सकता है, विशेष विवाह अधिनियम के संदर्भ के बिना."


दुल्हन का अर्थ साफ नहीं


साल 2019 में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक पुरुष और एक महिला- जो ट्रांसजेंडर थे- के बीच विवाह के रजिस्ट्रेशन का हुक्म दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम में "दुल्हन" शब्द का कोई स्थिर और अपरिवर्तनीय अर्थ नहीं हो सकता और क़ानून की व्याख्या उसके वर्तमान स्वरूप में कानूनी प्रणाली के आलोक में की जानी चाहिए.