सुप्रीम कोर्ट सोमवार से CAA की वैधता पर करेगी सुनवाई; देखिये, किन लोगों ने दी है इस कानून को चुनौती ?
Supreme court scheduled hearing on CAA: सीएए मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक जवाब दाखिल करने को कहा था, लेकिन कोविड की वजह से इसपर सुनवाई नहीं हो पाई थी.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं समेत 200 से ज्यादा जनहित याचिकाओं (PIL) पर सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली बेंच सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट की बेंच के सामने सुनवाई के लिए 220 याचिकाएं लिस्टेट हैं, जिनमें सीएए (CAA) के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की प्रमुख याचिका भी शामिल है.
शीर्ष अदालत में कुछ वर्षों से पेंडिंग कई जनहित याचिकाओं पर भी सुनवाई होनी है. प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच एक संगठन ‘वी द वूमेन ऑफ इंडिया’ द्वारा दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगी.
सीएए (CAA) को दी गई है चुनौती
गौरतलब है कि सीएए (CAA) के तहत 31 दिसंबर 2014 को या फिर उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर 2019 को संबंधित याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी का इस मामले में सवाल पूछा था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक जवाब दाखिल करने को कहा था.
कोविड की वजह से नहीं हो पाई थी सुनवाई
हालांकि, इस मामले में कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए लागू प्रतिबंधों की वजह से यह मामला सुनवाई के लिए नहीं आ सका, क्योंकि इसमें बड़ी तादाद में वकील और वादी शामिल थे. सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक आईयूएमएल ने अपनी याचिका में कहा है कि यह कानून समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है, और अवैध प्रवासियों के एक वर्ग को धर्म की बुनियाद पर नागरिकता देने का इरादा रखता है.
किसने दी है CAA को चुनौती
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई अन्य याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं. अन्य याचिकाकर्ताओं में मुस्लिम निकाय जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU), पीस पार्टी, CPI, एनजीओ 'रिहाई मंच' और सिटिजन्स अगेंस्ट हेट, अधिवक्ता एमएल शर्मा और कानून के छात्रों ने भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
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