`सहानुभूति फैक्टर` या `गुंडा राज का अंत`; UP के गाजीपुर में कौन सा नैरेटिव किसपर पड़ेगा भारी?
Ghazipur Loksabha Election: साल 2019 में अफजाल अंसारी ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को 1.19 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. गाजीपुर लोकसभा सीट से 10 कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं.
Ghazipur Loksabha Election: पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत दो महीने पहले हो चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक चर्चा के केंद्र में हैं. जहां मुख्तार अंसारी बड़े भाई और इंडिया गठबंधन के कैंडिडेट अफजाल अंसारी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. वहीं, बीजेपी से पारसनाथ राय चुनाव लड़ रहे हैं.
जैसे-जैसे वोटिंग नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे गाजीपुर में 'सहानुभूति फैक्टर' बनाम 'गुंडा राज के अंत' की भावना के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही हैं. 50 साल के हिदायतुल्लाह ने कहा, "इस बार मुख्तार अंसारी की मौत की वह से लोगों को काफी सहानुभूति है. मुख्तार के बेटे उमर अंसारी भी अफजाल अंसारी के लिए वोट मांग रहे हैं और इससे सहानुभूति बढ़ रही है." वहीं, पेशे से वकील अशोक लाल श्रीवास्तव ने असहमति जताई है. उन्होंने कहा, "अगर कोई कहता है कि मुख्तार अंसारी के लिए कोई सहानुभूति है, तो वह झूठ बोल रहा है. पहले उसका जो आतंक और दबदबा था, वह अब खत्म हो गया है. इसका असर 4 जून को दिखेगा."
एकतरफा हो गया है मुकाबला
साल 2019 में अफजाल अंसारी ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को 1.19 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. गाजीपुर लोकसभा सीट से 10 कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं, इस सीट से अफजाल अंसारी, बीजेपी से पारसनाथ राय और बीएसपी से उमेश सिंह चुनावी मैदान में हैं. यहां पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में रैलियां कर चुके हैं, जबकि सपा नेता अखिलेश यादव सपा कैंडिडेट अफजाल अंसारी के समर्थन में रैली कर चुके हैं और मुख्तार अंसारी के प्रति सहानुभूति जता चुके हैं. वहीं, एक राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गाजीपुर में अफजाल अंसारी की एकतरफा जीत होगी
अफजाल अंसारी खेल रहे हैं सहानुभूति
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि करीब चार दशक से मुख्तार अंसारी की छत्रछाया में इलेक्शन लड़ रहे पांच बार के विधायक और दो बार के सांसद अफजाल अंसारी सहानुभूति कार्ड खेल रहे हैं. वह दावा कर रहे हैं कि उनके भाई की मौत एक साजिश का हिस्सा है और जनता गुस्से में है, जिसका असर 4 जून को दिखेगा. वहीं, बीजेपी कैंडिडेट ने अफजाल अंसारी पर पलटवार करते हुए कहा कि अफजाल अंसारी को अपने दहशतगर्द भाई की तुलना शहीदों से नहीं करनी चाहिए.
हार्ट अटैक से हुई थी मौत
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के कत्ल समेत 60 से ज्यादा मामलों में आरोपी मुख्तार अंसारी की इसी साल 28 मार्च को तबीयत बिगड़ने के बाद बांदा जिला जेल के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. अंसारी के परिवार ने इल्जाम लगाया था कि उसे धीमा जहर देकर मारा गया था. वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया था कि उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी.
जिला में बीजेपी का हो गया है सफाया
साल 2019 में जहां अफजाल अंसारी ने इस लोकसभा क्षेत्र में मनोज सिन्हा को हराया था, वहीं 2022 के विधानसभा इलेक्शन में सपा गठबंधन ने इस इलाके की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर बीजेपी का सफाया कर दिया. सैदपुर (सुरक्षित), गाजीपुर सदर, जंगीपुर और जमानिया से सपा कैंडिडेट ने जीत हासिल की, जबकि उस समय सपा की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने जखनिया (सुरक्षित) से जीत हासिल की. एसबीएसपी अब एनडीए का हिस्सा है.