अल्पसंख्यक आयोग में शिकायतों की आई बाढ़; जानें, कैसे-कैसे कंप्लेन लेकर पहुंच रहे हैं लोग
National Minority Commission Report: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने एक आंकड़ा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले एक साल में आयोग को मिलने वाली शिकायतों में 42 फीसदी का इजाफा हुआ है.
नई दिल्लीः हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत के संदर्भ में तैयार अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि पिछले कुछ वर्षों में देश में अल्पसंख्यकों (Minority in India) पर हमले और उनके खिलाफ भेदभाव के मामले में इजाफा हुआ है, हालांकि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के तुरंत बाद भारत सरकार ने इस रिपोर्ट का खंडन किया था. इस रिपोर्ट के प्रकाशन के लगभग एक सप्ताह बाद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Minority Commission) ने एक आंकड़ा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले एक साल में आयोग को मिलने वाली शिकायतों में 42 फीसदी का इजाफा हुआ है.
378 शिकायतें विधि-व्यवस्था के मामलों से संबंधित
ताजे आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पास वर्ष 2021-22 में कुल 2076 शिकायतें आईं, जो इससे पहले के वर्ष की तुलना में लगभग 42 फीसदी ज्यादा हैं और इनमें 41 शिकायतें घृणा अपराध (हेट क्राइम) और सबसे ज्यादा 378 शिकायतें विधि-व्यवस्था के मामलों से संबंधित थीं. आयोग द्वारा संग्रहित आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020-21 में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की तरफ से उसके समक्ष 1463 शिकायतें दर्ज कराई गईं थी, लेकिन वर्ष 2021-22 में इन शिकायतों की संख्या बढ़कर 2076 हो गई. यह करीब 42 प्रतिशत की वृद्धि है.
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1463 शिकायतें सिर्फ मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने की
अधिकारी ने यह भी कहा कि आयोग के सामने जो भी शिकायतें आती हैं, उनमें से ज्यादातर का जल्द से जल्द निपटारा किया जाता है. अल्पसंख्यक आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में जो 2076 शिकायतें आईं उनमें सबसे ज्यादा 1420 मुस्लिम समुदाय से संबंधित थीं. इसके अलावा सिख समुदाय से जुड़ी 222 शिकायतें, ईसाई समुदाय से जुड़ी 137, जैन समुदाय से मुंसलिक 67, बौद्ध समुदाय से जुड़ी 57 और पारसी समुदाय से संबंधित 22 शिकायतें थीं. वहीं, 151 शिकायतें अन्य लोगों की तरफ से की गईं.
किस तरह की कितनी शिकायतें आईं
इन 2076 शिकायतों में से सबसे ज्यादा 378 शिकायतें विधि-व्यवस्था के मामलों से संबंधित थीं. इनके अलावा जमीन विवाद से जुड़ी 231 शिकायतें, सेवा से संबंधित 116, पुलिस अफसरों के खिलाफ 218, शिक्षा के मामलों से जुड़ी 98 , महिलाओं के खिलाफ उत्पी़ड़न से संबंधित 135, सरकारी अफसरों के खिलाफ 122, आर्थिक मामलों से जुड़ी 60, वक्फ मामलों से संबंधित 27, मजहबी अधिकारों से संबंधित 54 , प्रशासन के खिलाफ 68, सांप्रदायिक हिंसा को लेकर 10 और सांस्कृतिक अधिकारों से संबंधित सात शिकायतें आईं.
2018 से 2020 के बीच आई थी शिकायतों में कमी
आयोग ने 2021-22 में नफरत से जुड़ी 41 शिकायतें दर्ज कीं और कुछ दीगर मामलों में 511 शिकायतें आई हैं. आयोग ने पहली बार घृणा अपराध से जुड़ी शिकायतों का अलग आंकड़ा जमा किया है. साल 2021-22 में भले ही शिकायतों की तादाद में वृद्धि हुई हो, लेकिन 2018-19 से 2020-21 के दौरान शिकायतों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की गई थी. साल 2020-21 में आयोग के सामने 1463 शिकायतें आई थीं, जो इससे पहले के वर्ष 2019-20 के मुकाबले 207 कम थीं. वर्ष 2019-20 में कुल 1670 और 2018-19 में 1871 शिकायतें आयोग के सामने आई थीं.
क्या कहता है अल्पसंख्यक आयोग ?
हालांकि, अल्पसंख्यक आयोग के एक सीनियर अफसर का कहना है कि शिकायतों की तादाद बढ़ने की वजह शिकायत दर्ज करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का ज्यादा इस्तेमाल होना है, जबकि पहले लोग सिर्फ ऑफलाइन मोड में ही अपनी शिकायतें दर्ज कराते थे. उन्होंने कहा कि शिकायतों के बढ़ने का मतलब यह कतई नहीं है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध या उनके हुकूक की खिलाफवर्जी के मामले बढ़े हैं. आयोग के प्रयासों के चलते अब ऑनलाइन मोड में ज्यादा से ज्यादा लोग शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, इसलिए यह तादाद थोड़ी बढ़ी हुई नजर आ रही है.’’
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