100 Years Of AMU: सर सैयद का ख्वाब था AMU, देश और दुनिया को दिए हैं ये अनमोल रत्न
देश-दुनिया में फेमस एएमयू इस साल दिसंबर में सौ साल की हो गई. गौरतलब है कि सर सैयद अहमद खां ने 24 मई 1875 में सात छात्रों से मदरसा तुल उलूम के रूप में यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे. वे वर्चुअली इस कार्यक्रम में जुड़ेंगे. उनके साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक भी होंगे. मोदी देश के दूसरे ऐसे पीएम होंगे जो AMU के कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस यूनिवर्सिटी का नाम विवादों में हमेशा आता रहा है. लेकिन इस यूनिवर्सिटी से कई नामचीन लेखकों, शायरों और कवियों का नाम जुड़ा है.
100 साल की हुई यूनिवर्सिटी
देश-दुनिया में फेमस एएमयू इस साल दिसंबर में सौ साल की हो गई. गौरतलब है कि सर सैयद अहमद खां ने 24 मई 1875 में सात छात्रों से मदरसा तुल उलूम के रूप में यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी. 8 जनवरी 1877 को 74 एकड़ फौजी छावनी में मोहम्मद एंग्लो ओरिएंटल (AMO) कॉलेज को स्थापित किया.
1 दिसंबर 1920 को AMO बना AMU
मुहम्मद एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज 1 दिसंबर, 1920 को एएमयू बनाने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसके बाद 17 दिसंबर को तत्कालीन कुलपति मोहम्मद अली मोहम्मद खान राजा साहब ने औपचारिक रूप से एएमयू की शुरुआत की. यहां सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 1967 में अजीज पाशा केस में फैसला सुनाते हुए कहा था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है, लेकिन 1981 में सेंट्रल गवर्नमेंट ने कानून में संशोधन कर अल्पसंख्यक दर्जा कायम रखने की कोशिश की थी. उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साल 2005 में यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाले कानून को रद्द कर अजीज पाशा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था.
कॉलेज की जान है लाइब्रेरी
किसी भी कॉलेज की लाइब्रेरी उसकी जान होती है. जहां की अलमारियों में रखी हुई किताबें पूरी दुनिया को खुद में समेटे रहती हैं. स्टूडेंट्स का अधिकतर समय किताबों को पढ़ते हुए गुजरता है. एएमयू की लाइब्रेरी में दुनिया भर की तमाम किताबें वहां के छात्रों के लिए संजोयी गईं हैं.
मुस्लिम महिलाओं की पढ़ाई पर दिया खास जोर
आपको बता दें कि सर सैयद ने मुसलमान औरतों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उस समय की कई कुरीतियों को तोड़ा और उन्हें बेहतर शिक्षा देने के लिए एएमयू में ना सिर्फ कॉलेज खोला बल्कि उनकी सहजता का विशेष ध्यान रखते हुए उस समय गर्ल्स हॉस्टल बनवाया.
राष्ट्रपति करते हैं वाइस चांसलर की नियुक्ति
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की नियुक्ति देश का राष्ट्रपति करता है. गौरतलब है कि भारत में एएमयू के तीन सेंटर्स हैं. मल्लापुरम (केरल), मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) और किशनगंज (बिहार). इसके अलावा औरंगाबाद में भी सेंटर खोलने की तैयारी की जा रही है.
कुछ ऐसी है AMU
यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग में 13 फैकेल्टी, 7 कंस्टीटूएंट कॉलेज जिनमें से पांच एकेडमिक प्रोग्राम के लिए हैं. इसके अलावा यूनिवर्सिटी में 15 सेंटर, 3 इंस्टिट्यूट और 10 स्कूल हैं. इस विश्वविद्यालय के ज्यादातर डिपार्टमेंट का नाम फ्रीडम फाइटर के नाम पर है. जिनमें से कई लोग तो इस यूनिवर्सिटी से ही पढ़ कर निकले हैं. एएमयू में 250 से अधिक कोर्स पढ़ाए जाते हैं. बता दें कि यूनिवर्सिटी के कई कोर्स में सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए सीटें रिजर्व हैं. यहां हर साल करीब 500 विदेशी छात्र-छात्राएं एडमिशन लेते हैं. यह AMU कुल 467.6 हेक्टेयर जमीन में फैली है.
कुछ ने संभाली देश की गद्दी और बढ़ाया विश्व में नाम
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहां के विद्यार्थी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के साथ-साथ दूसरे देशों में भी प्रधानमंत्री की भूमिका निभा चुके हैं. यहां के स्टूडेंट रह चुके देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है. वहीं यहीं से शिक्षा प्राप्त करने वाले हामिद अली अंसारी 2007 से 2017 तक देश के उप राष्ट्रपति रहे. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने भी सन् 1913 में एएमयू से उच्च शिक्षा ग्रहण की थी.
यहां से पढ़े छात्रों ने हर क्षेत्र में लहराया परचम
एएमयू के गौरवशाली इतिहास से देश-दुनिया के तमाम लोगों का नाम जुड़ा है, जो हर क्षेत्र से संबंध रखते हैं. पूर्व क्रिकेटर लाला अमरनाथ, शायर कैफी आजमी, लेखक एवं कवि राही मासूम रजा, मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के साथ ही फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने भी एएमयू से पढ़ाई की. इसके अलावा प्रोफेसर इरफान हबीब, उर्दू कवि असरारुल हक मजाज, शकील बदायूंनी, प्रोफेसर शहरयार ने इस विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की है. बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद मंसूर अली, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति फजल इलाही चौधरी और मालद्वीप के पहले राष्ट्रपति मोहमद आमीन दीदी भी यहां के ही छात्र हैं.
राजनेता
लियाकत अली खां, मुहम्मद मंसूर अली, आयूब खान, मियां गुलाम जिलानी, मलिक गुलाम मुहम्मद, जाकिर हुसैन, मोहम्मद हामिद अंसारी, राशिद मसूद, शेख अब्दुल्ला, सैयद मीर कासिम, खान अब्दुल गफ्फार खान, हामिद अली.
बॉलीवुड में
दलीप ताहिल, नसीरूद्दीन शाह, अनुभव सिन्हा, सुरेखा सीकरी.
शायर व लेखक
बशीर बद्र, जावेद अख्तर, सईद राशिद, राजा राव, हबीब तनवर, राही मासूम रज़ा, असगर वज़ाहत, सादात हसन मंटो, ज़ाहिदा जै़दी, कैफी आजमी, असरारुल हक मजाज, शकील बदायूंनी.
स्पोर्टस
अख़्तर हुसैन, ध्यानचंद, जफर इकबाल, तारिक मंसूर, लाला अमरनाथ.
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