लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद अब एमएलसी के चुनाव को लेकर माहौल गरमाया हुआ है. एमएलसी चुनवा के लिए सपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों का भी ऐलान कर दिया है. इस के साथ ही सपा गठबंधन में घमासान की भी शुरुआत हो गई है....कहते हैं...राजनीति में कोई स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होता...कब कौन किस से गठबंधन कर ले और कब कौन किससे अलग हो जाए...पता नहीं...विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए सपा ने छोटे-छोटे दलों का गठबंधन तैयार किया था...चुनाव में बीजेपी को सपा गठबंधन ने कड़ी टक्कर भी दी...लेकिन 4 महीने बाद ही ये गठबंधन अब बिखरता दिख रहा है...


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सपा की बढ़ेंगी मुश्किल?
विधान परिषद की 13 सीटों पर चुनाव है....समाजवादी पार्टी गठबंधन पर मुसीबत के बादल मंडरा रहे हैं...20 जून को होने वाले MLC चुनाव के लिए सपा ने उम्मीदवारों का ऐलान किया तो...गठबंधन के साथी और महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर बिफर पड़े...उधर अखिलेश पर दबाव बनाने वालों को टिकट देने का आरोप लगाते हुए...केशव देव मौर्य ने सपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया..बात यहीं नहीं थमी, सपा गठबंधन के दूसरे साथी ओमप्रकाश राजभर भी MLC चुनाव में टिकट बंटवारे से नाराज नजर आ रहे हैं...पहले ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर को MLC का टिकट मिलने की संभावना थी...लेकिन सपा ने अरविंद राजभर का नाम काटकर आजम खान के करीबी शाहनवाज खान को टिकट दिया है.


बुधवार को दिन भर चली मीटिंग के बाद शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने भी यूपी में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. इतना ही नहीं पार्टी के राष्ट्रवाद पर काम करने की बात भी कह डाली. ज़ाहिर है इस से आने वाले वक़्त में समाजवादी पार्टी को ख़ासा नुक़सान का सामना करना पड़ सकता है.


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चाचा-भतीजे में दूरी ?
यूपी विधान सभा इजलास में शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव की दूरी सुर्ख़ियों में रही.  यूपी विधानसभा सत्र के दौरान शिवपाल यादव ने अपनी सीट बदलने के लिए विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखा था और समाजवादी पार्टी के कई विधायकों की सीट बदलने की बात ने भी सुर्ख़ियां बटोरी थीं.


चाचा शिवपाल के इशारे
पहले विधानसभा सत्र में दूरी और पिर बुधवार की मीटिंग के ऐलान के बाद एक और इशारा मिल गया है. शिवपाल सिंह यादव ने कहा पार्टी राष्ट्रवाद के लिए काम करेगी. कुछ समय से शिवपाल यादव राम और राष्ट्रवाद पर लगातार बीजेपी के एजेंडे पर चलने का संकेत दे रहे हैं. समान नागरिक संहिता में भी पार्टी ने बीजेपी के एजेंडे को हवा देने वाली बात की थी जिसके बाद शिवपाल की बीजेपी से नज़दीकियों की चर्चा और बढ़ गयी थी. विधानसभा चुनाव से पहले भी चाचा-भतीजे के इत्तेहाद ने काफ़ी सुर्ख़ियां बटोरी थीं. तब भी चाचा-भतीजे में सियासी गठबंधन होगा या नहीं, इस पर तज़बज़ुब बरक़रार था. लेकिन उस वक्त मुलायम सिंह यादव ने स्थिति सम्भाल कर शिवपाल यादव को मना लिया था.


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समाजवादी पार्टी को होगा नुक़सान ?
यूपी में अगर शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार को उतारती है तो कुछ यादव लैंड में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की मुश्किलों में इज़ाफ़ा हो सकता है. ऐसे में टिकट ना मिलने के सबब नाराज़ समाजवादी पार्टी के कारकुनान के प्रसपा की जानिब रुख़ करने के इमकान बड़ सकते हैं. विधानसभा चुनाव से पहले सपा ने छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी...लेकिन अब यही गठबंधन बिखरता नजर आ रहा है...ऐसे में महान दल के बाद अगर ओपी राजभर भी सपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं तो...इससे ना सिर्फ सपा गठबंधन पर डबल अटैक होगा...बल्कि MLC चुनाव के नतीजों पर भी असर पड़  सकता है.


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