उत्तराखंडः मोबाइल न रखें और शादी समारोह में न जाएं महिलाएं; 28 बिंदुओं में जारी हुआ फरमान
Women should not keep mobile : उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में मुस्लिम महिलाओं के लिए एक फरमान जारी किया गया है, जिसमें 28 बिंदुओं में उन्हें नसीहत दी गई है, जिसके बाद राज्य महिला आयोग ने इसपर संज्ञान लिया है.
जसपुरः उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के जसपुर में मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐसे-ऐसे फरमान जारी किए गए हैं, जिसे देख और पढ़कर लोग हैरत में पड़ जाएंगे. ये फरमान इलाके में चर्चा का विषय बन गया है. मुस्लिम युवतियों और महिलाओं को शादी विवाह समरोह में जाने, मोबाइल यूज़ करने, सोशल मीडिया से दूर रहने सहित लगभग 28 अलग-अलग बिंदुओं में उनपर प्रतिबंधित लगाया गया है. इसे कुछ लोग महिलाओं की आजादी पर प्रहार बता रहे हैं.
कॉलेजों में हो रही है साजिश
इस फरमान में कुछ ऐसे स्कूल और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों को पढ़ाई करने से भी दूर रहने के लिए कहा गया है. कहा गया है कि ऐसे कॉलेजों में उनके खिलाफ साजिश की जाती है, इसलिए ऐसे स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश लेने से वह दूर रहें. इसमें कहा गया है कि मोबाइल के इस्तेमाल से कम उम्र में ही लड़कियां प्रेम के चक्कर में पड़कर अपनी जिंदगी खराब कर रही हैं. इसमें महिलाओं को सार्वजनिक समारोहों में जाने और वहां पुरुषों से मिलने से भी दूर रहने की नसीहत की गई है.
सदर मौलाना ने फरमान का किया बचाव
इस फरमान को लेकर सदर मौलाना साजिद रजा ने कहा कि हर समाज से बुराइयों को खत्म किया जाना खहिए. आजकल लड़कियों द्वारा लड़को का खुलेआम स्वागत किया जाता है. सार्वजनिक तौर पर वे अपने प्रेम का प्रदर्शन करते हैं. प्यार की आड़ में कुछ लड़के माताओं और बहनों को गलत नजर से देखते है. इसलिए किसी भी समारोह में लड़कियों द्वारा स्वागत का प्रोग्राम खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा शादी समारोह में औरतें और आदमी एक साथ खाना खाते हैं. कुछ शरारती तत्व महिलाअें के साथ छेड़खानी करते हैं, इसलिए ऐसा नियम बनाया गया है कि लड़कियों और लड़कों के खाने की व्यवस्था अलग-अलग हो. मोबाइल पर लगे प्रतिबंध को लेकर मौलाना साजिद रजा ने कहा कि आज इंटरनेट के जरिये बेहयाई फैल रही है. इसलिए मोबाइल के उपयोग पर पाबंदी लगाई गई है. अगर इन सब बिंदुओं का पालन करेंगे तो समाज और परिवार में सुधार होगा.
राज्य महिला आयोग करेगा जांच
वहीं, इस मामले में राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सायरा बानो का कहना है कि जिन लोगों ने ये तुगलकी फरमान जारी किया है, यह सरासर महिलाओं की आजादी पर हमला है. महिला क्या करे क्या न करे ये खुद महिलाओं को तय करना है, किसी अन्य को नहीं. उन्होंने कहा कि वह इस मामले को आयोग में लेकर जाएंगी और इसकी जांच कराएंगी.
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