Lal Krishna Advani: भाजपा के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी की तबियत खराब हो गई है. उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पिछले दो हफ्तों से उनकी तबियत खराब चल रही थी. उन्हें यूरोलोजी के अपचार के लिए भर्ती कराया गया है. उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को इससे पहले भी कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इलाज हुआ है. वह राम मंदिर आन्दोलने के लिए चर्चा में रहे हैं.


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राजनीतिक सफर
आपको बता दें कि लाल कृष्ण आडवाणी की पैदाइश 8 नवंबर साल 1927 को कराची (अब पाकिस्तान) में हुई. वह साल 1942 से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़े और सियासत से शुरूआत की. 12 सितंबर 1947 को उन्होंने अपना घर छोड़ा और वह 'स्वयं सेवकों' के साथ दिल्ली रवाना हुए. वह राजनीतिक सफर में 1986 से 1990 तक, इसके बाद 1993 से 1998 तक, इसके अलावा 2004 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के रष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. वह सबसे लंबे वक्त तक भाजपा के अध्यक्ष रहे.


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उपप्रधानमंत्री बने
लाल कृष्ण अडवाणी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1999 से 2005 तक गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री रहे. 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था. लालकृष्ण अडवाणी को 31 मार्च 2024 को भारत सरकार ने भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया था.


राम मंदिर आंदोलन
साल 1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान अडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली. हालांकि, आडवाणी को बीच में गिरफ़्तार किया गया. इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया. 1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया था. साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है. लालकृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा के अलावा भी कई रथयात्राएं कीं, जैसे जनादेश यात्रा, भारत सुरक्षा यात्रा, स्वर्ण जयंती रथ यात्रा, भारत उदय यात्रा आदि.


बाबरी पर क्या बोले अडवाणी?
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि लाल कृष्ण अडवाणी ने एक इंटरव्यू में माना कि बाबरी मस्जिद को गिराना एक बड़ी भूल थी. साल 2000 में दिए एक इंटरव्यू में अडवाणी ने बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बारे में कहा कि "इसमें कोई शक नहीं है कि वह एक बड़ी गलती थी. मैंने तो उमा भारती को कहा था कि जाओ उन्हें नीचे उतारो और कहो कि ये सब न करें. उमा ने मेरे पास आकर बताया कि जो लोग सबसे ऊपर चढ़े हुए हैं, वो मराठी बोल रहे हैं. वो मेरी बात नहीं सुन रहे हैं. फिर मैंने प्रमोद को भेजा. वो भी निराश होकर वापस लौट आए. फिर मेरे साथ जो पुलिस ऑफिसर थे, उनसे कहा कि मैं वहां जाना चाहता हूं, लेकिन उन्होंने मुझे नहीं जाने दिया."