Old Parliament Building: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नए संसद भवन का उद्घाटन करने रहे हैं. ऐसे में कुछ लोगों के मन ये सवाल आ रहा है कि अब पुरानी संसद का क्या होगा? क्या इसको तोड़ दिया जाएगा या फिर इस इमारत का किसी और तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा? आपके इन्हीं सवालों का हम इस खबर में जवाब देंगे. लेकिन उससे पहले आपको पुरानी संसद के बारे में कुछ अहम जानकारी दे देते हैं. देश की आज़ादी से पहले बनी यह संसद हिंदुस्तानियों के लिए काफी अहमियत रखती है. क्योंकि इसी संसद ने आजाद हिंदुस्तान की पहली संसद के तौर पर काम किया. 


पुराने संसद भवन का इतिहास:


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मौजूदा संसद भवन अंग्रेजों ने बनवाया था, जिसके बनने में 6 साल का वक्त लगा था. यह संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था. जिसका डिजाइन ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने तैयार किया था. मौजूदा संसद भवन को बनाने में उस वक्त 83 लाख रुपये खर्च हुए थे. जबकि अब नए भवन को बनाने में करीब 862 करोड़ रुपये खर्च आया है. हालांकि यह संसद जब बनी थी तभी से इतनी बड़ी नहीं थी. आजादी के बाद साल 1956 में इसके अंदर 2 और मंजिलों को जोड़ा गया था. 



पुराने संसद भवन का क्या होगा?


पुराने संसद भवन को लेकर आपके मन में उटने वाले सभी सवालों के जवाब कुछ इस तरह हैं. सबसे पहले तो यह पुराना संसद भवन देश के लिए पुरातात्विक संपत्ति है. इसलिए इस भवन की फिर से मरम्मत की जा सकती है और अफसरों का यह भी कहना है कि इस भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा. मौजूदा संसद भवन को एक संग्रहालय में तब्दील किया जा सकता है और आम जनता के लिए भी खोला जा सकता है. हालांकि इसको लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. 


नए संसद भवन में 888 लोकसभी सीटों की क्षमता है जबकि पुरानी संसद में 552.
नए संसद भवन में 384 राज्यसभा सीटे हैं जबकि पुराने संसद भवन में 250 ही हैं. 
नए संसद भवन को बनने में 862 करोड़ रुपये खर्च हुए.
पुराने संसद भवन का निर्माण उस वक्त सिर्फ 83 लाख रुपये में हुआ था. 
नए संसद भवन को बनने में सिर्फ 21 महीने लगे हैं. जबकि पुराने संसद भवन को 6 लगे हैं. 


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