जब जामिया को बचाने के लिए भीख मांगने तक को तैयार हो गए थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
रजवाड़े और पैसे वाले लोग, अंग्रेज़ी हुकूमत के डर से इसकी आर्थिक मदद करने से कतराते थे. इसके चलते 1925 के बाद से ही यह बड़ी आर्थिक तंगी में घिर गई.
नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया ने अपने 100 साल मुकम्मल कर लिए हैं. इस मौके पर यूनिवर्सिटी में कई तरह के प्रोग्राम किए गए और किए जा रहे हैं. यह यूनिवर्सिटी आज़ादी के दौर से लेकर अब तक कई तरह के मुसीबतों का सामना किया है. ब्रिटिश शिक्षा और व्यवस्था के विरोध में बनी जामिया मिल्लिया इस्लामिया को पैसे और संसाधनों की बहुत कमी रहती थी.
यह भी पढ़ें: 100 Years Of Jamia: देखिए जामिया की वो तस्वीरें जो शायद आपने पहले कभी न देखी हों
रजवाड़े और पैसे वाले लोग, अंग्रेज़ी हुकूमत के डर से इसकी आर्थिक मदद करने से कतराते थे. इसके चलते 1925 के बाद से ही यह बड़ी आर्थिक तंगी में घिर गई. ऐसा लगने लगा था कि यह बंद हो जाएगी लेकिन गांधी जी ने कहा कि कितनी भी मुश्किल आए, स्वदेशी शिक्षा के पैरोकार, जामिया को किसी भी कीमत पर बंद नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा था,'जामिया के लिए अगर मुझे भीख भी मांगनी पड़े तो मैं भीख मांगूगा'.
यह भी पढ़ें: जानिए किसके कहने पर मुंशी प्रेमचंद ने जामिया में रातभर जागकर लिखी थी 'कफन'
गांधी जी ने जमनालाल बजाज, घनश्याम दास बिड़ला और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय समेत कई लोगों से जामिया की आर्थिक मदद करने को कहा और इन लोगों की मदद से जामिया बंद होने के बची. इसीलिए जामिया के कुलपति ऑफिस कंपाउंड में मौजूद फाइनेंस दफ्तर की इमारत 'जमनालाल बजाज बिल्डिंग ' के नाम पर है.
Zee Salaam LIVE TV