इन कारणों से डिप्टी CM केशव मौर्य को पल्लवी पटेल ने दी पटखनी, जानिए पूरा समीकरण
उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में BJP ने इतिहास रच दिया.योगी ने सत्ता का हर वो मिथक तोड़ दिया, जिनसे दूसरी पार्टियां घबराती थी. 1985 के बाद पहली बार यूपी में कोई राजनीतिक पार्टी दोबारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही है.
Who is Pallavi Patel: उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में BJP ने इतिहास रच दिया.योगी ने सत्ता का हर वो मिथक तोड़ दिया, जिनसे दूसरी पार्टियां घबराती थी. 1985 के बाद पहली बार यूपी में कोई राजनीतिक पार्टी दोबारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही है. मगर इन सबके बीच यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से अपनी जमीन बचा नहीं पाये. बेहद करीबी मुकाबले में वो समाजवादी गठबंधन की पल्लवी पटेल से यह चुनाव हार गए. कैशव मौर्य को 98,727 वोट मिले जबकि वहीं पल्लवी पटेल को 1,05,568 वोट मिले इसका मतलब लगभग 7000 के अंतर से पल्लवी पटेल ने यूपी के डिप्टी सीएम को हरा दिया. वोटिंग की गिनती जब अपने आखिरी राउंड में थी, तो केशव प्रसाद की हार देखते हुए उनके समर्थकों के काउंटिंग सेंटर में हल्ला मचा दिया, जिससे वहाँ का माहौल थोड़ी देर के लिए खराब हो गया था. लेकिन इन सब के बीच सिराथू की इस चुनावी लड़ाई को बेटा बनाम बहू का चुनाव बताया जा रहा था जिसमें बहू ने बेटे को हरा दिया. तो ऐसे में एक सवाल खड़ा होता है कि आखिर कौन हैं पल्लवी पटेल जिन्होंने बीजेपी के दिग्गज और यूपी के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद को हरा दिया.
पल्लवी पटेल कौन हैं?
पल्लवी पटेल अपना दल (कमेरावादी) की उपाध्यक्ष हैं और उनका ससुराल कौशांबी में है और इसी कौशांबी में सिराथू सीट पड़ती है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में दो अपना दल हैं. एक केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेलाल) जो भाजपा के साथ चुनावी मैदान में उतरी थी वहीं दूसरी तरफ उनकी मां कृष्णा पटेल वाली अपना दल (कमेरावादी), जो सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही थीं. पल्लवी पटेल सिराथू सीट से सपा की तरफ से चुनाव लड़ रही थीं. अनुप्रिया पटेल ने तो सिराथू विधानसभा आकर अपनी बहन पल्लवी के खिलाफ प्रचार-प्रसार भी किया था, तो वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और जया बच्चन ने वोटरों से कहा था कि सिराथू की बहू की लाज रख लेना और शायद यही वजह थी कि जनता ने बेटे की जगह बहू को तरजीह दी.
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दलित और पटेल वोटर बने हार-जीत के फैक्टर
सिराथू विधानसभा में तकरीबन एक लाख से अधिक दलित वोटर हैं. इसमें भी 60% से ज्यादा वोटर पासी हैं, जिसका साथ हर बार बीजेपी को मिलता रहा है. अगर बात मुस्लिम-यादव वोटरों की करे तो 80 हजार के आसपास हैं वहीं 25% से अधिक गैर यादव OBC हैं। इनमें पटेल और मौर्य-कुशवाहा दोनों हैं। 25 हजार से ज्यादा ब्राह्मण समाज हैं. मायावती ने यहां से मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान पर उतारा था, लेकिन इससे सपा को कोई परेशानी नहीं हुई और एक इस चुनावी जंग में पल्लवी पटेल ने मौर्य को करारी हार का मजा चखा दिया.
सिराथू को कभी बसपा का गढ़ माना जाता था
2012 के चुनाव से पहले कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. यहां 1993 से 2007 तक बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने लगातार चार बार जीत हासिल की थी.लेकिन केशव प्रसाद मौर्य ने ही भाजपा के लिए यहाँ से सबसे पहली बार 2012 के चुनावों में कमल खिलाया था. इससे पहले भाजपा और सपा यहां से खाता खुलने में असफल रही थी.
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