Asaduddin Owaisi on RSS​:  साल 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के RSS की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर बैन लगया था. अब मोदी सरकार ने लगा बैन हटा लिया है. जिसके बाद सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्मों में शामिल हो सकते हैं. केंद्र सरकार ने 58 साल पुराने बैन को हटा दिया है. 


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केंद्र सरकार पर ओवैसी का हमला
केंद्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. आदेश जारी होते ही कांग्रेस तमाम विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा है. इसके बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी भड़क गए. उन्होंने इस फैसले को देश की अखंडता और एकता के खिलाफ बताया है. 


RSS पर साधा निशाना
ओवैसी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस गतिविधियों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध हटा दिया है, अगर यह सच है, तो यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है. आरएसएस पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है, क्योंकि उसने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. हर आरएसएस सदस्य हिंदुत्व को राष्ट्र से ऊपर रखने की शपथ लेता है, अगर कोई सरकारी कर्मचारी आरएसएस का सदस्य है, तो वह राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता."



क्या है पूरा मामला
दरअसल, 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी थी. अब केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया है. पहले सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर सजा का प्रावधान था. सरकारी कर्मचारी पेंशन को ध्यान में रखते हुए रिटायरमेंट के बाद भी आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से बच रहे थे.