Nitin Gadkari Out From BJP: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नितिन गडकरी को सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था केंद्रीय संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया है. यह मामला भाजपा की अंदरूनी रणनीति से जुड़ा है. पार्टी के नए फैसले से गडकरी की चुनावी रणनीति पर बड़ा असर पड़ेगा.


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नितिन गड़करी तब राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर उभरे थे जब वह माहाराष्ट्र के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे. अब वह केंद्र सरकार में मंत्री हैं और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं. लेकिन संसदीय बोर्ड और केंद्रीय समिति से बाहर हैं. इससे भाजपा में उनका कद घटा है.


गडकरी अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं. हाल ही में उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि राजनीति उनके लिए दिलचस्पी भरी चीज नहीं रही है. गडकरी मोदी सरकार में भरोसेमंद मंत्री रहे हैं. गडकरी ने राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए बेहतरीन काम किया है. उनकी तारीफ उनके विरोधी भी करते हैं लेकिन पार्टी के अंदर समीरकणों को लेकर उनकी जमी नहीं.


गडकरी को पार्टी की संसदीय समिति से अलग कर देने का यह भी संदेश है कि वह व्यक्ति विशेष नहीं है बल्कि विचारधारा पर काम करती है. इस बात का उदाहरण इससे भी मिलता है कि लाल कृष्ण अडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को सक्रिय राजनीति से अलग कर भाजपा ने मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया था. 


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गडकरी का केंद्रीय संसदीय बोर्ड से बाहर होना महाराष्ट्र की राजनीति पर असर डालेगा. हाल ही में महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना के बागी गुट के साथ सरकार बनाई है. इस गठबंधन में देवेंद्र फडनवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाना था लेकिन उन्हें उप मुख्यमंत्री के लिए राजी कर लिया गया. इसके बाद अब केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल कर पार्टी ने उनके कद को बड़ा कर दिया है.


माना जाता है कि गडकरी और देवेंद्र फडणवीस आरएसएस के करीबी हैं. इसलिए जो भी फैसला लिया गया होगा उसमें संघ की भूमिका रही होगी. हाल ही में भाजपा ने कहा था कि 25 सालों की जरूरतों के मुताबिक पार्टी अपने आप को तैयार कर रही है. मुम्किन है भूपेंद्र यादव और देवेंद्र फडणवीस जैसे नेताओं को संसदीय बोर्ड में जगह देना इसी तैयारी के अंतर्गत आता हो.


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