नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दिकी कप्पन ( journalist Siddiqui Kappan) की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से सोमवार को जवाब मांगा है. कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत के बाद उस घटना को कवर करने के लिए जाते वक्त रास्ते में गिरफ्तार कर लिया गया था. प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की बेंच ने याचिका पर आखिरी सुनवाई के लिए नौ सितंबर की तारीख तय की है.


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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी जमानत याचिका 


इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस माह की शुरुआत में कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उनके खिलाफ हाथरस मामले में गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित तौर पर संबंध रखने वाले चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और यूएपीए के विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पीएफआई पर नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ मुल्कभर में हुए प्रदर्शनों को फंड देने का इल्जाम है. पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी हाथरस में कानून व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश कर रहे था.

न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट ने नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया 
वहीं, एक दूसरे मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट ने जेल में बंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा की इस याचिका पर सुनवाई से सोमवार को खुद को अलग कर लिया जिसमें एल्गार-परिषद मामले में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद करने का अनुरोध किया गया है. पीठ में प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित के साथ शामिल न्यायमूर्ति भट्ट ने सुनवाई शुरू होने पर उसमें भाग लेने से मना कर दिया था. हालांकि उन्होंने इसकी कोई वजह नहीं बताई. नवलखा (70) ने उनकी याचिका खारिज करने के बंबई हाईकोर्ट के 26 अप्रैल के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाल में 82 वर्षीय कार्यकर्ता पी वरवर राव को जमानत दी है. 



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