आज माता-पिता पर भारी दबाव है - बच्चों को ‘‘सबसे अच्छा खाना खिलाने से लेकर यह तय करने तक कि बड़े बच्चों को विकास के तमाम मौके मिलें. एक क बच्चे का सही तरीके से पालन-पोषण करने के लिए आपका हर लिहाज से परफेक्ट होना ज़रूरी नहीं है. हम जानते हैं कि बच्चे की जिंदगी में पालन-पोषण का महत्व होता है. शोध हमें बताते हैं कि माता-पिता अपने बच्चे के विकास, लचीलेपन और स्वयं और दूसरों की अपेक्षाओं को प्रभावित करते हैं. यह बदले में उनके व्यवहार और कल्याण का निर्धारण करता है.


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बच्चों को संघर्ष करने दें


‘‘अच्छा पालन-पोषण’’ सिद्धांत 1950 के दशक में यूके के बाल रोग विशेषज्ञ और मनोविश्लेषक डोनाल्ड विनीकॉट ने विकसित किया. उन्होंने पाया कि बच्चे वास्तव में उन माताओं से फायदा उठाते हैं जो उन्हें कुछ मायनों में ‘‘नाकाम’’ करती हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि माता-पिता यह तय करने में अपनी भूमिका की उपेक्षा करें या उसे कम करें कि बच्चों को रहने, सीखने और खेलने के लिए एक सुरक्षित वातावरण मिले. बच्चों को भी अपनी भावनात्मक ज़रूरतें पूरी करने की ज़रूरत है. उन्हें यह जानने की जरूरत है कि उन्हें प्यार किया जाता है और वे अपनेपन का एहसास महसूस करते हैं. लेकिन अच्छा पालन-पोषण यह मानता है कि माता-पिता की विफलता जीवन का एक अपरिहार्य हिस्सा है. उदासी, आँसू और क्रोध का तजुर्बा बचपन का हिस्सा है. माता-पिता को बच्चों को धीरे-धीरे कुछ निराशा सहन करने में सक्षम बनाना चाहिए. अच्छे माता-पिता को यह एहसास होता है कि हर समय उपलब्ध रहना और तुरंत प्रतिक्रिया देना संभव नहीं है.


हर चीज पूरी नहीं होती


विनीकॉट ने कहा कि जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं, तो उनकी ज़रूरतों को लगभग तुरंत पूरा किया जाता है. यदि कोई बच्चा रोता है, तो माता-पिता उसे खाना खिलाएंगे या नैप्पी बदल देंगे. लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, जरूरी नहीं कि उसकी ज़रूरतें तुरंत पूरी हों. माता-पिता उन्हें कुछ चीजों के लिए सहनशीलता विकसित करने में मदद सकते हैं- या चीजें उस तरह से नहीं चल रही हैं जैसा वे चाहते थे- जबकि अभी भी उनकी बुनियादी जरूरतों की देखभाल और प्रतिक्रिया करते हैं. यह अहम है क्योंकि जिंदगी हमेशा वैसी नहीं चलती जैसी हम उम्मीद करते हैं और बच्चों में सहनशीलता विकसित करने की जरूरत है. 


अच्छा पालन-पोषण क्या होता है? 


शुरुआती बिंदु के रूप में, अपने आप से पूछें ‘‘मेरे बच्चे को मुझसे क्या चाहिए?’’ अच्छा पालन-पोषण आपके बच्चे की भावनाओं और जरूरतों को समझने और उन पर प्रतिक्रिया देने पर केंद्रित होता है. वक्त के साथ ये ज़रूरतें बदल जाएंगी. उदाहरण के लिए, एक अच्छे माता-पिता को यह एहसास होता है कि उन्हें अपने बच्चे के भूख से रोने पर तुरंत रिएक्ट करने की जरूरत है. जबकि एक किशोर जीवन जीना सीख रहा है. एक अच्छे माता-पिता को कभी-कभी अपने बच्चे को उनकी पसंद के परिणामों का सामना करने देना चाहिए. साथ ही, भावनाओं को ‘‘रोकने’’ की कोशिश न करें. अच्छा पालन-पोषण यही है कि यदि आपका बच्चा दुखी या क्रोधित हो तो उसके लिए मौजूद रहें, लेकिन सबसे पहले उन्हें दुखी या क्रोधित होने से न रोकें. दुख के बारे में यह सोचना मददगार हो सकता है कि यह भावनात्मक दर्द के कारण नहीं बल्कि असहज भावनाओं से बचने के कारण होता है. और अपने बच्चे के लिए अवास्तविक मानक निर्धारित न करें. उदाहरण के लिए, यदि रात के खाने का समय हो गया है और वे थके हुए और भूखे हैं, तो उनसे अपने कमरे को साफ करने की अपेक्षा न करें. 


सीमाओं का निर्धारण


एक अच्छे माता-पिता होने का मतलब अपने बच्चे को वैसे ही स्वीकार करना है जैसा वह है. बच्चों में स्वयं की स्वस्थ भावना विकसित करने के लिए माता-पिता से बिना शर्त प्यार की आवश्यकता होती है. इसलिए, यदि आपका बच्चा गणित की तुलना में फुटबॉल में अधिक रुचि रखता है (या इसके विपरीत) तो उसे बदलने की कोशिश न करें. साथ ही, सीमाएँ निर्धारित करें- जैसे ‘‘जब मैं बात कर रहा हूँ तो कृपया मुझे बीच में न रोकें’’ या ‘‘मैं चाहता हूँ कि आप मेरे कमरे में आने से पहले दस्तक दें’’- और उन्हें लागू करने के बारे में सुसंगत रहने का प्रयास करें. यह न केवल आपके रिश्तों को परिभाषित करने में मदद करता है (एक माता-पिता और बच्चे के रूप में, दो दोस्तों के रूप में नहीं), यह आपके बच्चे को किसी भी रिश्ते में स्वस्थ सीमाओं के बारे में भी सिखाता है. 


चीज़ें हमेशा योजना के मुताबिक नहीं होंगी


जैसा कि हम जानते हैं, चीजें हमेशा वैसी नहीं होंगी जैसी हम चाहते हैं या उम्मीद करते हैं. इसलिए यदि आप अपने बच्चे पर गुस्सा हैं, तो भावनात्मक रूप से नियंत्रित करने का तरीका अपनाएं और जितना हो सके शांति से उनसे बात करने की कोशिश करें. यदि आप कोई गलती करते हैं- जैसे कि अपनी आवाज उठाना या अपना आपा खोना- माफी मांगें. लेकिन खुद को आराम देने के तरीके भी खोजें. इसका मतलब है कि आप कल और भविष्य में उनके पालन पोषण का दायित्व सही तरीके से उठा पाएंगे. जरूरत पड़ने पर मदद मांगें. यह आपके साथी, परिवार या पेशेवरों जैसे डाक्टर, परिवार परामर्शदाता या मनोवैज्ञानिक से हो सकता है. याद रखें, यह सब अच्छे होने के बारे में है, सुपर ह्यूमन होने के बारे में नहीं.