Afghanistan News: अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान काबिज है. तालिबान जब से सत्ता में आया है तब से उस पर अवाम पर जुल्म करने के इल्जाम लगते रहे हैं. अफगानिस्तान पहले तो आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. इसके बाद तालिबान ने औरतों को यूनिवर्सिटी जाने से रोक दिया है. कुछ मुस्लिम देश तो तालिबान की हिमायत कर रहे हैं लेकिन कुछ मुस्लिम देश ऐसे भी हैं जो इस मामले में तालिबान की हिमायत नहीं कर रहे हैं. इन्ही देशों में से एक है तुर्की.


गैर-इस्लामिक है तालिबान का तरीका


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तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयब अर्दोगान का कहना है कि तालिबान का लड़कियों को तालीम देने से रोकना गैर-इस्लामिक है. उन्होंने एक बुधवार यानी 11 जनवरी को कहा कि तालिबान जब तक लड़कियों को तालीम हासिल करने की इजाजत नहीं देता तब तक वह इस पर नजर बनाए हुए हैं. 


इस्लाम में तालीम पर पाबंदी नहीं


एर्दोगान के मुतबिक "यह अमानवीय और गैर-इस्लामिक है. हमारे धर्म में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है. किसी भी पाबंदी को इस्लाम का नाम देकर इस तरह डिफाइन नहीं किया जाना चाहिए. इस्लाम ऐसी किसी भी बात को नहीं मानता. इसके उलट हम एक ऐसे धर्म को मानने वाले हैं जो कहता है कि हमें पालने से लेकर कब्र तक तालीम की तलाश करनी चाहिए."


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चुपके से दी जा रही तालीम


पिछले साल 21 दिसंबर को तालिबान ने लड़कियों के यूनिवर्सिटी जाने पर पाबंदी लगा दी थी. अफगानिस्तान में लड़कियों की तालीम पर पूरी तरह से पाबंदी है. हालांकि कुछ इलाकों में लड़कियों के लिए 1 से 6 तक स्कूल खुले हैं. यहां कुछ औरतें चुपके से लड़कियों को तालीम दे रही हैं. 


OIC के सामने उठाया तालीम का मुद्दा


हाल ही में एर्दोगान ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की एक मीटिंग बुलाई है. इसमें अफगानिस्तान में मानवाधिकारो को लेकर चिंता जताई गई है. इसमें लड़कियों के तालीम हासिल करने पर पाबंदी के मुद्दे को उटाया गया है. इसके अलावा औरतों के काम करने की पाबंदी पर जायजा लेने के लिए कहा गया है. मीटिंग में बताया गया है कि तालीम हासिल करना मौलिक अधिकार है. इसलिए यहां मजहबी डेलीगेट को भेजने की बात कही गई है. 


तालिबान का अलग है रुख


हालांकि तालिबना का कहना है कि इस्लाम में लड़कियों की तालीम और काम पर पाबंदी लगाना जायज है. उसने ये भी कहा कि उसके इस फैसले को कई मुस्लिम देशों का सपोर्ट हासिल है.


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