Pakistan News: पाकिस्तान के बहावलपुर की एक स्थानीय अदालत ने 22 वर्षीय ईसाई युवक नोमान मसीह को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई है. ये खबर सुनने के बाद पूरे पाकिस्तान में सदमें की लहर दौड़ गई है. बीएनएन नेटवर्क ने बताया कि अदालत के फैसले से ईसाइयों में हड़कंप मच गया है. इस फैसले के बाद मानवाधिकार कार्यक्रताओं और अल्पसंख्यकों में आक्रोश फैल गया है. मानवाधिकार कार्यक्रता और अल्पसंख्यकों का कहना है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की गई है. इस वजह से नोमान मसीह को इंसाफ नहीं मिला. 
आपको बता दें कि नोमान मसीह पर अपने मोबाइल फोन पर धार्मिक तस्वीरें रखने का आरोप है. बीएनएन नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक,  पाकिस्तान की दंड संहिता की धारा 295-सी के मुताबिक, इस अपराध के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. हालाँकि जो लोग पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की दुर्दशा से परिचित हैं. वे जानते हैं कि ईशनिंदा के झूठे आरोपों का इस्तेमाल अक्सर व्यक्तिगत प्रतिशोध, संपत्ति विवाद, धार्मिक पूर्वाग्रह या व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता को निपटाने के लिए किया जाता है.
एक प्रमुख अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता जोसेफ जानसेन ने सजा पर गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त की है. बीएनएन नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक, निष्पक्ष जांच की कमी को गिनाते हुए जेन्सन ने कहा कि जो लोग धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ झूठे आरोप लगाते हैं. वे अक्सर ऐसे फैसले पर खुशी मनाते है और निर्दोष लोगों की जान जोखिम में डाल देते हैं. 
फैसले पर विभिन्न मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मानवाधिकार कार्यकर्ता इलियास सैमुअल ने उम्मीद जताई है कि उच्च न्यायालय इस केस में हस्तक्षेप करेगा और मौत की सजा को पलट देगा. आपको बता दें कि मानवाधिकार कार्यकर्ता इलियास सैमुअल ने उच्च न्यायालय से नोमान मसीह के खिलाफ आरोपों की गहन समीक्षा का आग्रह किया है. 
महिला अधिकार कार्यकर्ता नादिया स्टीफन ने निष्पक्ष जांच और मौलिक अधिकार पर जोर देते हुए कहा कि आरोपी का जीवन दांव पर है.  बीएनएन नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक,  एक और प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता अशिकनाज खोखर ने कहा कि झूठे ईशनिंदा के आरोपों को हासिए पर रहने वाले समुदायों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, जिससे निर्दोष लोगों की जान चली गई और उनके बीच डर का माहौल बन गया है.


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