इस्लामाबादः पाकिस्तान इस वक्त भीषण आर्थिक मंदी की चपेट में हैं और वहां की अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर पहुंच गई है. विदेशी मदद और कर्ज के बाद भी अर्थव्यवस्था में सुधार के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं. इसी बीच पाकिस्तान के राजनीतिक अर्थशास्त्री परवेज ताहिर ने लोगों की परेशानियों को कम करने के लिए भारत के साथ पाकिस्तान के द्विपक्षीय व्यापार को फिर से पुनर्जीवित करने की अपील की है. गौरतलब है कि कश्मीर में सीमा विवाद के कारण पिछले कई सालों से भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वयापार पूरी तरह बंद है. 
ताहिर पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित तीसरे अस्मा जहांगीर स्मृति व्याख्यान के प्रतिभागियों को खिताब कर रहे थे. डॉन की खबर के मुताबिक, पीपीपी के पूर्व सीनेटर फरहतुल्ला बाबर ने भी इस कार्यक्रम को खिताब किया, जिसे मानवाधिकार कार्यकर्ता नसरीन अजहर ने संचालित किया. 

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रक्षा खर्ज घटनो की सलाह 
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, अर्थशास्त्री ने कहा है कि 18वें संशोधन की जरूरत के अनुरूप संघीय कैबिनेट के आकार में कटौती की जानी चाहिए. चूंकि संघीय विकास व्यय को उधार लेकर वित्तपोषित किया जाता है, बजट को संतुलित होने तक इसे घटाकर शून्य कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि रक्षा खर्ज भी आवश्यकता से ज्यादा हो रहा है, उसे तत्काल प्रभाव से कम किया जाना चाहिए.

राज्यों को आमदनी का 50 फीसदी केंद्र को देने का सुझाव 
डॉ. ताहिर ने सुझाव दिया कि बड़े भू-स्वामियों की आमदनी पर सामान्य आयकर लगाया जाना चाहिए. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, वेल्थ टैक्स, इनहेरिटेंस टैक्स और एस्टेट ड्यूटी को फिर से लगाने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि इनडायरेक्ट टैक्स में कोई बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रांतों को अपनी आमदनी का 50 प्रतिशत विकास बजट के लिए समर्पित करना चाहिए और दो साल के  अंदर अनुच्छेद 25-ए का पूरी तरह से पालन करने के लिए संबंधित वर्तमान बजट प्रदान करना चाहिए.

भ्रष्टाचार पर उठाए सवाल 
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, “ संपतित कर प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए स्थानीय सरकारों को पूरी तरह से हस्तांतरित किया जाना चाहिए और चालू खाता घाटे से निपटने के लिए क्षेत्र में व्यापार खोला जाना चाहिए."  कार्यक्रम को खिताब करते हुए बाबर ने कहा, “हर कोई कहता है कि सांसदों के भत्ते और विशेषाधिकार कम किए जाने चाहिए, लेकिन हम यह भी नहीं पूछ सकते कि लाहौर में एक जनरल को सेवानिवृत्ति के समय 5 अरब रुपये की 90 एकड़ जमीन कैसे और क्यों दी गई.“ ताहिर का इशारा जरनर बाजबा की तरफ था, जिन्होंने रिटायरमेंट के वक्त तक अकूत संपत्ति अजिर्त कर ली थी. 


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