पेरिस: फ्रांस  की संसद में इस्लामिक कट्‌टरवाद (Islamist Extremism) को खत्म करने के लिए नए बिल को मंजूरी मिल गई है. इस बिल के मुताबिक फ्रांस की पुलिस को अब अधिकार होगा कि वह  मस्जिदों और मदरसों को जब चाहे तब बंद करा सकती है. साथ ही फ्रांस में रह रहे मुस्लिमों के एक से ज्यादा विवाह (polygamy) और जबरन विवाह  (forced marriage) करने पर इस बिल में  सख्ती का प्रावधान है. आइए जानते हैं आखिर इस बिल पर इतना हंगामा क्यों हो रहा है.


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सार्वजनिक स्थल पर नहीं पहन सकते हिजाब 
 इसलामिक सेपरेटिज्म बिल  के मुतबाबिक, यह बिल मुस्लिम महिलाओं के हिजाब जैसे धार्मिक प्रतीकों को पहनने और धार्मिक विचारों को सार्वजनिक करने से रोकेगा. सरकारी कर्मचारियों के साथ प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोग सावर्जनिक स्थानों पर धार्मिक विचारों सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं. इस बिल के तहत प्राइवेट ट्रांसपोर्ट में यात्रा के दौरान धार्मिक प्रतीकों को पहनने पर रोक लगाता है. 


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पुलिस को होगा यह अधिकार 
इस बिल के मुताबिक ,धार्मिक समुदायों के संबंध में किए गए अपराधों पर पुलिस सख्त कार्रवाई कर सकती है. साथ ही अगर कोई मौलाना भड़काऊ भाषण किसी धार्मिक स्थल से देता है तो पुलिस उस धार्मिक स्थल को दो महीने के लिए बंद कर सकती है. इसके अलावा आतंकवाद के दोषी पाए गए व्यक्तियों को 10 साल तक धार्मिक संगठनों का नेतृतव करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.  


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मस्जिदों पर होगी नजर
इस बिल के तहत मस्जिदों पर नजर रखी जाएगी कि कहीं वहां कट्टरता को नहीं सिखाई जा रही हैं. साथ ही साथ मुस्लिम समुदाय के बच्चे स्कूली शिक्षा पूरी करें, ये भी पक्का किया जाएगा. उन स्कूल और शिक्षण संस्थानों को बंद करवाया जा सकेगा, जो शिक्षा के बहाने ब्रेनवॉश करते हैं. साथ ही साथ नए कानून के तहत होम-स्कूलिंग पर कड़े प्रतिबंध लगेंगे ताकि ऐसे स्कूलों में बच्चों का दाखिल न किया जाए जो नेशनल करिकुलम से अलग हो.


विदेशी फंडिंग पर सरकार सख्त 
इसके अलावा फ्रांस में दूसरे देशों से धार्मिक संगठनों के लिए आने वाले फंड पर नजर रखी जा सकेगी. इससे आतंक पर काफी हद तक लगाम कसेगी. मैक्रों खुद कहते हैं कि हमें ये देखना होगा कि पैसे कहां से आते हैं, किसे मिलते हैं और क्यों दिए जाते हैं.


विदेशी भषाओं पर होगी सरकार की नजर
फ्रांस में विदेशी भाषाओं की पढ़ाई पर भी नजर रखी जाएगी. बता दें कि फ्रांस में ELCO प्रोग्राम के तहत विदेशी भाषा में पढ़ाई करवाई जाती है, जो अधिकतर किसी खास धर्म से संबंधित होती है. ये ठीक वैसा ही है, जैसे चाइना अपने कन्फ्यूशियस संस्थानों के जरिए अलग-अलग देशों में अपनी पैठ जमा रहा है. तो अब फ्रांस ऐसे शिक्षण पर भी नजर रखेगा.


क्यों बनाया गया कानून?
हाल में ही फ्रांस ने देश में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 8 संगठनों से एक चार्टर पर हस्ताक्षर करने को कहा था, जिसमें आतंकवाद की बुराई और धार्मिक कट्टरपंथ को खत्म करने जैसे उपबंध शामिल थे. लेकिन, कानून न होने के कारण 3 संगठनों ने इस चार्टर पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया था. जिसके बाद से फ्रांसीसी सरकार ने इस कानून को बनाया है.


इस कानून पर क्या बोले मैक्रों
फ्रांस के संसद में इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि जेंडर इक्वेलिटी और सेक्युलरिज्म (Gender Equality and Secularism) जैसे फ्रांसीसी मूल्यों की रक्षा किया जाना आवश्यक है, इसलिए ऐसे कानून देश हित में हैं. वहीं फ्रांस में रहने वाले मुस्लिमों का कहना है कि यह कानून ना केवल उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करेगा, बल्कि उन्हें इसके जरिए निशाना बनाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि फ्रांस के पास पहले से आतंकवादी हिंसा से लड़ने के लिए पर्याप्त कानून है, इसलिए नया बिल लाने की कोई जरूरत नहीं है.


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