ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद की रेस से हटे जॉनसन; जीत के और करीब पहुंचे ऋषि सुनक
ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस (Liz Truss) के इस्तीफे के बाद नए प्रधानमंत्री के दौर से पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ( Boris Johnson) के हटने के बाद अब मैदान में भारतीय मूल के सांसद ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और पेनी मोर्डंट के बीच मुकाबला रह गया है, ऐसे में माना जा रहा है कि सुनक की जीत अब और पक्की हो गई है.
लंदनः ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद पर पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ( Boris Johnson) के दावेदारी से पीछे हटने के बाद भारतीय मूल के नेता ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के प्रधानमंत्री बनने की संभावना और प्रबल हो गई है. पूर्व प्रधानमंत्री जॉन्सन ने इतवार की रात को यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद की दौड़ से खुद को अलग कर लिया कि प्रधानमंत्री पद पर वापसी के लिए ‘यह सही वक्त नहीं है’. इससे अब यह साफ हो गया है कि दीवाली उनके लिए बड़ी खुशियां लेकर आई है. अब उनकी जीत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
बोरिस जॉनसन ने ‘पार्टीगेट’ कांड के बाद जुलाई में इस्तीफा दे दिया था जिसमें जॉनसन पर कथित रूप से कोविड-19 लॉकडाउन संबंधी कानून तोड़ने का आरोप लगा था.
पेनी मोर्डंट से होगा सुनक को मुकाबला
42 वर्षीय पूर्व वित्त मंत्री ने इतवार को अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए कहा था कि वह ‘देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने, अपनी पार्टी को एकजुट करने और देश के लिए काम करना चाहते हैं. सुनक ने अपने हालिया चुनाव प्रचार अभियान में कहा, ‘‘मैं आप सभी से हमारी समस्याओं के समाधान का एक मौका देने का अनुरोध कर रहा हूं.’’
उन्होंने 100-सांसदों के समर्थन की सीमा को आराम से पार कर इस मुकाबले में एक ठोस बढ़त हासिल कर ली है. हालांकि, सूत्रों की माने तो जॉनसन के पीछे हटने के बाद अब प्रधानमंत्री पद की रेस में एकमात्र प्रतिद्वंद्वी ब्रिटिश संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ की नेता पेनी मोर्डंट बच गई है. उनके समर्थकों के मुताबिक पेनी 100 सांसदों के लक्ष्य को पार करने के करीब पहुंच गई हैं.
45 दिनों में ही लिज ने छोड़ दिया था पद
अगर, सुनक और पेनी मोर्डंट दोनों अंतिम सूची में जगह बनाते हैं, तो वे 1,70,000 कंजरवेटिव सदस्यों के ऑनलाइन मतदान की दिशा में आगे बढ़ेंगे. सुनक पिछले महीने हुए पार्टी नेतृत्व पद के चुनाव में निवर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस से हार गए थे. ट्रस ने कंजरवेटिव पार्टी में अपने नेतृत्व के खिलाफ खुले विद्रोह के बाद सत्ता संभालने के सिर्फ 45 दिनों बाद ही गुरुवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
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