Qatar Former Navy Officer Arrest Update: विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि क़तर में हिरासत में लिए गए इंडियन नेवी के आठ पूर्व कर्मियों का मामला वहां की अदालत को भेजा गया है और 29 मार्च को इस मामले में पहली सुनवाई हुई, हालांकि अभी तक आरोप सामने नहीं आए हैं. मिनिस्ट्री ने कहा कि दोहा में इंडियन ऐंबेसी के अधिकारी हिरासत में लिये गए भारतीयों के परिवार के राब्ते में हैं. विदेश मंत्रालय के तर्जुमान अरिंदम बागची ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "हम समझते हैं कि लोक अभियोजन ने इस मामले को अदालत को भेजा है और पहली सुनवाई 29 मार्च को हुई जिसमें बचाव पक्ष के वकील और भारतीय अधिकारी शामिल हुए"


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उन्होंने कहा कि दोहा में भारतीय दूतावास के अधिकारी हिरासत में लिये गए भारतीयों के परिवार के साथ लगातार राब्ता बनाये हुए हैं और उन्हें क़ानूनी मदद दी जा रही है.  बागची ने कहा, "हमने एक और दौर की राजनयिक पहुंच प्रदान करने की अपील की है". एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह नहीं समझते हैं कि अभी इल्ज़ाम सामने आए हैं.  विदेश मंत्रालय के तर्जुमान अरिंदम बागची ने कहा कि भारत इस मामले को काफी प्राथमिकता की नज़र से देख रहा है और इस सिलसिले में लगातार ये मामला वहां के प्रशासन के सामने उठाया जा रहा है.



बता दें कि कतर में हिरासत में लिये गये लोग दाहरा ग्लोबल टेक्नॉलोजी एंड कंसलटेंसी के लिए काम कर रहे थे. यह एक प्राइवेट कंपनी है. इस मामले में कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी जयराम रमेश की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के तर्जुमान ने कहा कि आमतौर पर वे ऐसे सवालों पर राय नहीं देते हैं लेकिन यह कहना चाहते हैं कि अगर भारत के किसी दूसरे देश के साथ अच्छे रिश्तें है, इसका मतलब यह नहीं है कि उसे क़ानून से छूट मिल जाती है. उन्होंने कहा कि किसी देश के साथ अच्छे रिश्ते कानूनी अमल में रूकावट नहीं डाल सकते हैं.



कांग्रेस ने क़तर में गिरफ्तार आठ पूर्व नौसैनिकों के अब तक रिहा नहीं होने पर तश्वीश जताते हुए बृहस्पतिवार को सवाल किया कि केंद्र सरकार इन लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने में असमर्थ क्यों है. जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, "30 अगस्त 2022 को कतर के अफ़सरों ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को गिरफ़्तार किया था, जो कतर नौसेना को ट्रेनिंग देने के काम में शामिल थे. आठों को कथित तौर पर जेल में रखा गया है". उन्होंने ने सवाल किया, "भारत सरकार अभी भी इस मामले की हक़ीक़त का पता लगाने या नेवी के पूर्व कर्मियों और उनके घरवालों को इंसाफ़ का भरोसा दिलाने में असमर्थ क्यों है?


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