इस्लाम में एक से ज्यादा शादी आजादी नहीं विशेष व्यवस्था है, इसका सम्मान करें मुस्लिम
Polygamy in Islam: जामिया अल अज़हर यूनिवर्सिटी के विद्वान शेख़ डॉक्टर अहमद अल तैय्यब ने कहा है कि एक से ज़्यादा शादी की आयतों को सही तरीक़े से समझें मुस्लिम पुरुष, शरई हक़ का ग़लत इस्तेमाल न करें.
नई दिल्लीः इस्लाम और मुसलमान को लेकर ये आम धारणा है कि यहां पुरुषों को एक से ज्यादा और कम से कम चार शादियां करने की इजाजत है. हालांकि कुरान और हदीस के मुताबिक चार शादियां करने का कोई बाध्यता नहीं है बल्कि असमान्य परिस्थितियों में कुछ शर्तों के साथ ऐसा करने की छूट है. मिस्र की विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी जामिया अल अज़हर के शेख़ डॉक्टर अहमद अल तैय्यब ने मुस्लिम पुरुषों को एक ही शादी करने के लिए प्रेरित किया है. अरब मीडिया से बातचीत करते हुए अल अज़हर यूनिवर्सिटी के शेख़ डॉक्टर अहमद अल तैय्यब ने कहा कि मर्द एक शादी ही करें, क्योंकि अक्सर दूसरी शादी बीवी और बच्चों पर ज़ुल्म की वजह बन जाते हैं.
एक बीवी की मौजूदगी में दूसरी शादी की आज़ादी नहीं है
डॉक्टर अहमद अल तैय्यब का कहना था कि एक से ज़्यादा शादी के क़ायल लोग बुरी तरह से ग़लत फ़हमी का शिकार हैं. हमें एक से ज़्यादा शादी से संबंधित क़ुरान की आयतों को सही संदर्भ में देखना और समझना चाहिए, क्योंकि एक बीवी की मौजूदगी में पुरुषों को दूसरी शादी की आज़ादी नहीं है, बल्कि सिर्फ़ ठोस कारणों पर शर्तो के साथ इस तरह की इजाज़त दी जा सकती है. उन्होंने ये भी कहा कि दूसरी शादी करना शरई हक़ है, मैं इसे हराम नहीं क़रार दे रहा हूं और न ही पाबंदी लगा रहा हूं, लेकिन अपने इस शरई हक़ के ग़लत इस्तेमाल का सख्त विरोधी हूं. उन्होंने कहा कि एक से ज़्यादा शादी के ग़लत इस्तेमाल और इससे होने वाले नुकसान को हमें रोकना होगा. मुसलमानों के बीच इसे लेकर बेदारी पैदा करनी होगी.
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